कोरोना मैनेजमेंट में फेल हो रहा राजसमंद!

3 मार्च को लिए नमूनों में 40 फीसदी थी नाथद्वारा की संक्रमण दर, विभाग ने हल्के में ले लिया, जयपुर, कोटा के बाद तीसरे नम्बर पर हम, जनसंख्या के लिहाज से छोटा जिला होने के बावजूद बेकाबू हो रहा वायरस, 50 हजार की आबादी के नाथद्वारा शहर में कई जिलों से ज्यादा आ रहे रोगी

<p>कोरोना मैनेजमेंट में फेल हो रहा राजसमंद!</p>
जितेन्द्र पालीवाल @ राजसमंद. फरवरी में अपनी मांद में जा बैठे कोरोना संक्रमण को राजसमंद ने हल्के में लिया। अब यह सिर उठा रहा है। आम लोगों की बेपरवाही तो रही ही, जिम्मेदार जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग के आला अधिकारियों ने भी देरी से कोशिशें शुरू की हैं। गत वर्ष सितम्बर के बाद राजसमंद जिले में सबसे ज्यादा बुरे हालात हैं।
सबसे ज्यादा कोताही विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के गृहनगर नाथद्वारा में चिकित्सा विभाग ने बरती। वह भी तब, जब गत 03 मार्च को लिए 30 नमूनों में से 12 पॉजिटिव निकले। यानि 40 फीसदी की संक्रमण दर कान खड़े कर देने वाली थी, लेकिन तत्काल सैम्पलिंग नहीं बढ़ाई। 50 हजार की आबादी के छोटे से शहर नाथद्वारा का हाल तो ऐसा है कि रोजाना आ रहे यहां के संक्रमितों ने कई जिलों को भी पीछे छोड़ दिया है। राज्य में जयपुर, कोटा के बाद तीसरे नम्बर पर राजसमंद है।
श्रीनाथजी की नगरी में संक्रमण दर चिंताजनक
मार्च की पहली तारीख से अब तक 20 दिन में पूरे राजसमंद जिले की औसत संक्रमण दर 4.54 फीसदी है, वहीं नाथद्वारा की दर 11.12 है। संक्रमण का यह स्तर बेहद खतरनाक है। हर दिन सबसे ज्यादा संक्रमित यहीं से आए हैं। 20 दिनों में पूरे जिले में 280 रोगी आए, जिनमें 172 केवल नाथद्वारा से ही हैं।
सबकुछ जानकर भी बने रहे अनजान
कोरोना काफी ज्यादा संक्रामक रोग है। यह जानते हुए भी प्रशासन व चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया। यह भी उस स्थिति में, जब श्रीनाथजी की नगरी में महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य राज्यों से हर रोज हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं। कई महीनों बाद बाजार में रौनक लौटी थी, यहां का कारोबार पटरी पर आने लगा।
10 दिन बाद रेण्डम सैम्पलिंग, 16वें दिन घर-घर सर्वे
नाथद्वारा में कोरोना फैलने के 10 दिन बाद रेण्डम सैम्पलिंग शुरू की गई। शुरुआत में इसमें भी खानापूर्ति की जाती रही। हास्यास्पद तो यह कि जिम्मेदार लोग नाथद्वारा में चिकित्सा अधिकारी व स्टॉफ के छुट्टियों पर होने, अनुपलब्धता की बात कहकर सैम्पलिंग ही टालता रहा, जबकि जिले में सैकड़ों का स्टॉफ है। 16वें दिन शनिवार से घर-घर सर्वे के लिए 40 टीमें लगाई गई हैं।
… तो नियंत्रण ज्यादा आसान होता
चिकित्सा विभाग के ही सूत्र मानते हैं कि नाथद्वारा में कोरोना विस्फोट हुआ। अगर समय रहते कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग होती, रोगियों के होम आइसोशन पर सख्त निगरानी की जाती व सैम्पलिंग व स्क्रीनिंग का दायरा बढ़ाया जाता, तो इसे नियंत्रित रखना ज्यादा आसान होता। अब जिले के दूसरे हिस्सों में भी संक्रमण बढ़ रहा है।
जहां लैब, संक्रमण भी वहीं ज्यादा
विधानसभा अध्यक्ष के प्रयासों से राजसमंद जिले के नमूनों की जांच के लिए लैब भी नाथद्वारा में ही स्थापित की गई थी। तत्काल जांच, रिपोर्ट आने और संक्रमण को काबू करने की रणनीति बनाने में लैब का नाथद्वारा में होना भी कारगर हो सकता था, लेकिन हालात को देखते हुए इस सुविधा की अहमियत भी बेमानी सी हो गई है।
–फैक्ट फाइल–
220 हैं आज एक्टिव केस हैं जिले में
406 एक्टिव केस थे सर्वाधिक सितम्बर, 2020 में
326 थे दिसम्बर, 2020 में, लेकिन मार्च के अभी 10 दिन बाकी
46 मौतें हुई हैं कोरोना से कुल अब तक विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक
16 मौतें सर्वाधिक सितम्बर, 2020 में हुई थी कोरोना के चरम पर होने से
—-
40 टीमें लगाकर घर-घर सर्वे शुरू कर दिया है। रेण्डम सैम्पलिंग 13 मार्च को ही शुरू कर दी थी। शुरुआत में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की थी, लेकिन नाथद्वारा में रास्ते संकड़े हैं। सामाजिक दूरी बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है। दूसरे जिलों की तुलना में क्यों रोगी अधिक आ रहे हैं, इस बारे में मैं कुछ कह नहीं सकता।
डॉ. प्रकाशचन्द्र शर्मा, सीएमएचओ, राजसमंद
नाथद्वारा में टेस्टिंग ज्यादा होने से जरूर संक्रमण दर अधिक आ रही है, लेकिन राहत की बात है कि मृत्युदर शून्य पर है। मैं वहां की स्थिति की लगातार जानकारी ले रहा हूं। जहां तक वर्तमान स्थितियों की बात है, जिला कलक्टर से बात करके और बेहतर प्लानिंग के लिए निर्देशित करूंगा। आमजन घबराएं नहीं, सभी नियमों का पालन करें।
डॉ. सी.पी. जोशी, विधानसभा अध्यक्ष, नाथद्वारा
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.