बातें बाघ लाने की, 25 साल में दूसरा ट्रेक तक न खुला

कुम्भलगढ़ नेशनल पार्क में जंगल सफारी, राणा कांकर से मालगढ़, 11 किमी रणकपुर तक ट्रेक एक वर्ष चलने के बाद ही बंद, आरेट फाटक से बीड़ की भागल तक 22 किमी वनपथ पर होती है सफारी

<p>बातें बाघ लाने की, 25 साल में दूसरा ट्रेक तक न खुला</p>
ओमप्रकाश शर्मा @ कुंभलगढ़. तीन जिलों की सीमा में 610 वर्ग किमी तक फैले कुंभलगढ़ नेशनल पार्क में बाघ लाने की तैयारी है। सादड़ी रेंज के मोडिया वन खण्ड में एनक्लोजर भी बनकर तैयार है, लेकिन जंगल का सफर और ज्यादा रोमांचक बनाने के लिए वन विभाग पिछले 25 साल में कोई दूसरा ट्रेक नहीं बना सका है। पर्यटक बरसों से एक ही वनपथ के सहारे जंगल सफारी कर रहे हैं।
नेशनल पार्क में अकेला वनपथ आरेट फाटक से प्रवेश होकर माउड़ी खेत, ढाणा फाटक और छोटी ओदी होते हुए कोठार बड, दाणाीबट्टा एवं मोतिदड़ा होते हुए बीड़ की भागल से बाहर निकलता है। सवाल यह कि बाघ आने के बाद पर्यटकों का दबाव इस रास्ते पर बढ़ेगा। ऐसे में सिर्फ एक वनपथ के सहारे सफारी करवाना मुनासिब नहीं होगा। ट्रेक की संख्या ज्यादा होने की स्थिति में जंगल सफारी को ज्यादा रोमांचक बनाकर रूट डायवर्ट भी किया जा सकेगा।
खतरा होने से बंद है रणकपुर ट्रेक
क्षेत्रीय वन अधिकारी किशोरसिंह ने बताया कि राणाकांकर से मालगढ़ वाले वनपथ पर बोखाड़ा रेंज में थोरियाा पाणी के निकट एक खड़ी चट्टान एवं गहरी खाई है, जिसके बिल्कुल पास से विकट एवं खतरनाक ढंग से रास्ता गुजरता है। ऐसे में पर्यटकों के सुरक्षा कारणों से इस ट्रेक को बंद कर रखा है। 10 लाख रुपए खर्च करने के बाद वर्ष 20१८-१९ में इसे चलाया था, लेकिन फिर ट्रेक ज्यादा खराब होने से बंद कर दिया है। फिलहाल वनपथ को बायपास निकालने का प्रस्ताव भेज रहे हैं, ताकि इसे फिर शुरू किया जा सके।
सादड़ी रेंज में तैयार है एनक्लोजर
वन विभाग के सूत्रो ने बताया कि नेशनल पार्क में बाघ लाने की पूरी तैयारी कर ली है। सादड़ी रेंज स्थित रणकपुर जैन मन्दिर के पास मोडिया वनखंड में एनक्लोजर बनकर तैयार है। बाघ को लाते ही उसमें ही रखा जाएगा। उसके बाद धीरे-धीरे खुले जंगल में छोडऩे की रणनीति पर काम होगा।
प्राकृतिक झरने तक ट्रेक बनाओ
नेशनल पार्क के जिप्सी संचालकों ने वन विभाग से गपूर बेरी स्थित एक प्राकृतिक झरने तक मुख्य वनपथ से तीन किमी अंदर तक ट्रेक बनाने की मांग की है, जहां दुर्ग की विशाल दीवार के पास से लगभग ३०० फुट की ऊंचाई से एक प्राकृतिक झरना गिर रहा है। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन सकता है। माउड़ी खेत से बेड़ाथात वाया कालिया की घाटी तक लगभग ६-७ किमी का एक ट्रेक और बनाने की जरूरत बताई।
अभी खूब दिखाई दे रहे जानवर
मार्च से लगे लॉकडाउन के बाद गत एक अक्टूबर से जंगल सफारी पुन: प्रारंभ हुई है। १४ दिनों में लगभग २८० पर्यटकों ने ५८ जिप्सियों के माध्यम से जंगल की सैर की है। इनमें ३१ विद्यार्थी शामिल हैं। जिप्सी संचालकों ने बताया कि अभी पैंथर की साइटिंग खूब हो रही है। पिछले सप्ताह तो पैंथर परिवार दिखाई दिया था। वहीं भालू, जरख, लोमड़ी, सिंयार, नील गायें, जंगल सूअर, जंगली मुर्गा, सांभर, बारहसिंगा सहित विभिन्न प्रजाति के वन्यजीव दिखाई दे रहे हैं।
यह है एकमात्र चालू ट्रेक
आरेट फाटक से मोतदड़ा तक २२ किमी लम्बे ट्रेक में कई प्राकृतिक एवं कृत्रिम वॉटर हैं। यहां अक्सर वन्यजीवों की हलचल रहती है। मीठी बोर, सामरिया कुण्ड, माउड़ी खेत, रातडिया, भंवरवल्ला, रंग बेरी, ढाणा ऐनिकट, छोटी ओदी होते हुए ढाणा फाटक और कोठार बड़ चैक पोस्ट पर पहुंचा जाता है। यहां अल्पाहार कर सकते हैं। इसके बाद सातबड़, दाणाी बट्टा दरवाजा एवं मोतीदड़ा होकर बीड़ की भागल में बाहर निकला जाता है।
कोविड़ की गाइड लाइन से होती है जंगल सफारी
मास्क, थर्मल स्क्रीनिंग, सोशल डिस्टेसिंग के साथ एक जिप्सी में मात्र चार पर्यटकों के अलावा इको गाइड एवं एक चालक ही प्रवेश कर रहे हैं। पहले हजारों की संख्या में पर्यटक जंगल सफारी कर रहे थे, वहीं अभी पन्द्रह दिनों में मात्र २८० पर्यटक आए हैं।
लॉकडाउन से पहले सफारी
माह पर्यटक
फरवरी २६१६
मार्च ८२९
अक्टूबर 280

इनका कहना है…
नेशनल पार्क में वर्तमान वनपथ २२ किमी का है। विभाग ने अतिरिक्त वनपथ का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है। जिप्सी संचालकों की ओर से मांग आई, जिसके बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराएंगे।
किशोरसिंह, क्षेत्रीय वन अधिकारी, नेशनल पार्क
मुख्य वनपथ के सात बड़ली से मात्र तीन किमी दूर गपूर बेरी पर एक विशाल प्राकृतिक झरना है। यदि वहां तक वनपथ बनाया जाता है, तो पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केन्द्र बन सकता है।
यासिन खान, जिप्सी संचालक
मुख्य वनपथ के माउड़ी खेत से ६-७ किमी दूर बेड़ाथात वाया कालिया की घाटी तक यदि वन पथ निर्माण कराया जाता है, तो पर्यटकों का सफर और यादगार हो सकता है। उन्हें भ्रमण का विकल्प मिलेगा।
हसन खान, जिप्सी संचालक
— फैक्ट फाइल—
२२ किमी लम्बा है मुख्य पथ, जिसमें ११ किमी ट्रेक चार साल पहले जोड़ा गया था
11 किमी लम्बा ट्रेक 10 लाख रुपए खर्च कर रणकपुर तक बनाया गया था, जो बंद है
25 साल में नहीं खुल सका है दूसरा नियमित ट्रेक
610 वर्ग किमी में फैला है कुम्भलगढ़ का जंगल
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