प्रदेश में भिखारियों के पुनर्वास के लिए कानून वर्ष 2012 में ही बन गया, लेकिन आठ साल बाद भी राज्य सरकार ने कोई ठोस प्रयास नहीं किए। सरकार द्वारा जयपुर, राजसमंद और उदयपुर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पुनर्वास गृह खोलने की योजना तैयार की, मगर ढाई साल बाद भी न तो पुनर्वास गृह खुल पाए और न ही भिखारी समाज की मुख्य धारा से जुड़ पाए। इसके चलते प्रदेश में साढ़े 22 हजार भिखारियों के पुनर्वास का प्रबंध नहीं हो सका और दस साल बाद भी दर दर भटकते हुए भीख मांगकर पेट भरने को मजबूर है। (22 thousand Beggars could not connect mainstream of society in Rajasthan)
राजस्थान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से पायलट आधार पर 25 भिखारियों के लिए एक पुनर्वास गृह संचालन के लिए 28 जुलाई 2017 को दिशा निर्देश जारी किए गए। पायलट आधार पर जयपुर, राजसमंद में पुनर्वास गृह खोलने थे, जहां दो बार विज्ञप्ति जारी कर पुनर्वास गृह खोलने के प्रयास किए, मगर कोई भी स्वयंसेवी संगठन आया नहीं आया। फिर राजसमंद जिले की जगह उदयपुर को प्रोजेक्ट में शामिल करने के प्रयास हुए, लेकिन उसके बाद न तो सरकार स्तर से फिर कोई कार्रवाई हुई और न ही कोई स्वयंसेवी संगठन भिखारी पुनर्वास गृह खोलने के लिए तैयार हो पाया। (22 thousand Beggars could not connect mainstream of society in Rajasthan)
सरकार से देय अनुदान
योजना के तहत भिखारी पुनर्वास गृह का संचालन करने वाली स्वयंसेवी संस्था को सरकार द्वारा विशेष अनुदान दिया जाएगा। भोजन वस्त्र के लिए प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 2 हजार मिलेंगे। अधिकतम वार्षिक 6 लाख रुपए तक का अनुदान देय है।
योजना के तहत भिखारी पुनर्वास गृह का संचालन करने वाली स्वयंसेवी संस्था को सरकार द्वारा विशेष अनुदान दिया जाएगा। भोजन वस्त्र के लिए प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 2 हजार मिलेंगे। अधिकतम वार्षिक 6 लाख रुपए तक का अनुदान देय है।
हाईकोर्ट की फटकार भी दरकिनार
प्रदेश में कानून के बाद भी साढ़े 22 हजार भिखारियों का पुनर्वास नहीं होने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने 5 मई 17 को सामाजिक न्याय व अधिकारिता सचिव व मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर फटकार लगाई कि कानून बनने के बाद भी पुनर्वास गृह क्यों नहीं खोले गए। एनजीओ जनहिताय, जनसुखाय की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई।
प्रदेश में कानून के बाद भी साढ़े 22 हजार भिखारियों का पुनर्वास नहीं होने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने 5 मई 17 को सामाजिक न्याय व अधिकारिता सचिव व मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर फटकार लगाई कि कानून बनने के बाद भी पुनर्वास गृह क्यों नहीं खोले गए। एनजीओ जनहिताय, जनसुखाय की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई।
भिखारी मुक्त जयपुर की घोषणा
गहलोत सरकार की ओर से जयपुर को भिखारी मुक्त बनाने की घोषणा की गई, मगर एक वर्ष बाद भी इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। हालांकि अब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने स्वयंसेवी संस्था से आवेदन मांगे, लेकिन अभी तक संस्था आगे नहीं आई है।
गहलोत सरकार की ओर से जयपुर को भिखारी मुक्त बनाने की घोषणा की गई, मगर एक वर्ष बाद भी इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। हालांकि अब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने स्वयंसेवी संस्था से आवेदन मांगे, लेकिन अभी तक संस्था आगे नहीं आई है।
संस्था नहीं हुई कोई तैयार
जयपुर, राजसमंद व उदयपुर में पुनर्वास गृह खोलने के लिए स्वयंसेवी संस्था से आवेदन मांगे थे, मगर कोई भी संस्था तैयार नहीं हो पाई। इस कारण कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई। अब जयपुर को भिखारी मुक्त बनाने की मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार स्वयंसेवी संस्थाओं को कॉल किया है, जिनके आवेदन आने पर पुनर्वास गृह खोल कर कार्रवाई करेंगे।
चांदमल वर्मा, उप निदेशक (प्रशासन) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जयपुर
जयपुर, राजसमंद व उदयपुर में पुनर्वास गृह खोलने के लिए स्वयंसेवी संस्था से आवेदन मांगे थे, मगर कोई भी संस्था तैयार नहीं हो पाई। इस कारण कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई। अब जयपुर को भिखारी मुक्त बनाने की मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार स्वयंसेवी संस्थाओं को कॉल किया है, जिनके आवेदन आने पर पुनर्वास गृह खोल कर कार्रवाई करेंगे।
चांदमल वर्मा, उप निदेशक (प्रशासन) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जयपुर