Breaking news : ब्यावरा में 20 करोड़ के रोड में भ्रष्टाचार की ‘दरार’

5.19 किमी के डिवाइडर वाले रोड की गुणवत्ता पर सवाल सालभर में ही उखडऩे लगा, नालियां ऐसी बनाई कि एक बार भी काम नहीं आईंनालियां खराब हुईं, कहीं भी फुटपॉथ पर नहीं लगे पैबर्स ब्लॉक, बैठक लेने लगा सीसी वाला रोड

<p>ब्यावरा.मुल्तानपुरा के आगे इस तरह से बीच रोड पर दरार पड़ी हुई है, जिसमें बाइक का पहिया फंस जाए।</p>
ब्यावरा.शहर की पहचान बने डिवाइडर वाले रोड की गुणवत्ता पर सालभर में ही सवाल उठने लगे हैं। कहीं रोड बैठक ले रहा है तो कहीं उखडऩे लगा। मुल्तानपुरा के आगे रोड पर भ्रष्टाचार की “दरार” पड़ गई है। रोड के बीच में इतनी गेप आ गई कि मोटरसाइकिल उसमें फंस जाए और हादसा हो जाए।
दरअसल, 5.19 किलोमीटर के गुना नाका से भोपाल बाइपास के बीच बनाए गए डिवाइडर वाले रोड की स्थिति खराब हो चुकी है। इस रोड के लिए बड़े स्तर पर प्रशासन ने न सिर्फ कार्रवाई की थी बल्कि जिले की सबसे बड़े कब्जे तोड़े थे। निर्माण के दौरान पीडब्ल्यूडी और प्रशासनिक स्तर पर बरती गई अनदेखी के कारण रोड की क्वालिटी बिगडऩे लगी है। फुटपॉथ बन नहीं पाए न ही उनमें पैबर्स ब्लॉक लगाए गए। साथ ही नालियां इतनी बेकार बनाईं गईं कि पूरे रोड पर कहीं भी वे काम नहीं आ पाईं। इसी कारण पूरे बारिश के सीजन में सडक़ों पर ही ड्रैनेज का पानी बहता रहता है।
फैक्ट-फाइल
-20 करोड़ की लागत है रोड की।
-5.19 किमी लंबा है रोड।
-2018 से शुरू हुआ था काम।
-250 से अधिक कब्जे तोड़े गए थे।
-2020-जून में किया गया हैंडओव्हर।
-02 करोड़ से अलग से बन रही अजनार पुल।
(नोट : जानकारी पीडब्ल्यूडी के अनुसार)
बड़े स्तर पर टूटा था अतिक्रमण, हटे थे 250 कब्जे
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए जिले में वर्ष-2018 ब्यावरा में सबसे बड़ी कार्रवाई हुई थी, जिसे लोग आज भी याद करते हैं। दुकान और मकानों को मिलाकर करीब 250 कब्जे प्रशासन ने सख्ती से तोड़े थे। तमाम प्रकार के रोड़े उसमें आए थे लेकिन उस दौरान की मेहनत पूरी तरह से काम नहीं आ पाई। कच्चे, पक्के के साथ ही कई ऐसे लोगों के कब्जे भी टूटे थे जो आर्थिक रूप से कमजोर थे।
रोड बना लेकिन पूरी राहत नहीं, अतिक्रमण टूटना शेष
अतिक्रमण टूटने के बाद जल्दबाजी में बनाई गई सीसी सडक़ से भी शहर की जनता को ट्रैफिक सुविधा नहीं मिल पाई। हालात ये हैं कि अभी भी उन जगह अतिक्रमण शेष है, जहां सर्वाधिक ट्रैफिक दबाव है। न्यायालीय प्रकरणों पर कार्रवाई करने या विचार करने की हिम्मत प्रशासनिक अधिकारी नहीं दिखा पा रहे हैं। सडक़ बन गई लेकिन फुटपॉथ पर पैबर्स ब्लॉक नहीं लगने से रोड की सुंदरता भी नहीं बढ़ पाई। सबसे ज्यादा दबाव वाले क्षेत्र पीपल चौराहा से इंदौर नाका के बीच सर्वाधिक अतिक्रमण शेष है जिस पर प्रशासन शिकंजा नहीं कस पा रहा।
पांच साल की वारंटी वाला रोड, सालभर में ही जवाब देने लगा
शहर की एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा रोड का निर्माण किया गया है। अतिक्रमण की व्यस्तता और मैन रोड होने से जल्दबाजी में रोड बना दिया गया, जिस पर पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर्स भी ध्यान नहीं दे पाए। गुणवत्ता का भी टेस्ट नहीं हुआ। साथ ही जो नालियां बनाईं गईं है उसमें भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। उन्हें बनाते वक्त न किसी ने ढलान पर ध्यान दिया न ही उनकी क्वालिटी पर। ऐसे में कई जगह नालियां मिट्टी से रौंदी हुई हैं, वहीं कई जगह टूटकर गिरने लगी है।
दिखवाता हूं, जहां खराब हुआ उसे ठीक करवाएंगे
पांच साल की वारंटी में रोड है, जहां दिक्कत होगी वहां हम निरीक्षण करवाकर ठेकेदार से मरम्त करवाएंगे। रही बात अतिक्रमण की तो उनमें से कुछ न्यायालयीन प्रकरण है इसलिए प्रशासन को ही उस पर निर्णय लेना है।
-अशोक दुबे, एसडीओ, पीडब्यू, ब्यावरा
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