इस गुफा में जो अंदर गया वह वापस नहीं आया
सत्यवन गोस्वामी, सुल्तानगंज. सुल्तानगंज से 4 किलोमीटर पश्चिम दिशा में स्थित जसरथी गांव के समीप पहाड़ी पर बनी गहरी और लंबी गुफा का रहस्य आज तक कोईनहीं जान सका। कहा जाता है कि यह पहाड़ी और गुफा संत जसरथ बाबा की तपोस्थली रही है। इस गुफा का रहस्य जानने या घूमने जो भी व्यक्ति अंदर गया वो वापस नहीं लौटा। किवदंती है कि यहां जसरथ बाबा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु अपने वाहन गुरुङ के साथ पहुंचे थे। जसरथ बाबा का पानी का लोटा गिरने से दो नदी प्रगट हुईं। ग्रामीण दावा करते हैं कि वर्षो पूर्व इस गुफा में पूरी बरात गायब हो गई थी। यह पहाड़ी 50 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैली हुई है। गुफा खोखली होने से एक जगह धुंआ करने से पूरे पहाड़ से धुंआ निकलने लगता है। इस पहाड़ी से ग्रामीणों की आस्था जुड़ी है।
पहाड़ी के शिखर पर जसरथ बाबा एवं हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है। साल में एक बार यहां मेला लगता है। कहा जाता है कि यहां पर एक मूर्ति जंगल मे बिराजी हुई है, जहां लोगों को पहुंचने में दिक्कत होती थी, इस कारण कई साल पहले लोगों ने मूर्ति को उस स्थान से हटाकर आसान पहुंच वाली जगह रख दिया, लेकिन उक्त मूर्ति बाद में वहीं पहुंच गई, जहां से उसे लाया गया था। पहाड़ पर एक छोटी तलैया है, जिसे गुरुङ तलैया कहा जाता है, मान्यता है कि यहीं भगवान विष्णु भगवान का वाहन उतरा था।
यहीं से निकली दो नदियां
पहाड़ी के ऊपर से पानी की दो पतली धाराएं निकली हैं। जो नीचे जाकर झरनो में बदली हैं और आगे बढ़ते हुए बड़ी नदियों में बदल गई हैं। इनमें से एक को दुधई और धसान नदी नाम से जाना जाता है।
इनका कहना है
– हमारे बुजुर्गों ने बताते थे कि जसरथ बाबा के हाथ से छूटे लोटा से बहे पानी से दो धाराएं निकलीं जो नदियों के रूप में आगे बढ़ी हैं। बाबा के घुटने टेकने के निशान भी चट्टान पर बने हैं।
पुष्पेंद्र सौलंकी, स्थानीय निवासी जसरथी
– शक्ति माता की मूर्ति को लोग जंगल से उठाकर मंदिर के पास रखते हैं, मूर्ति वापस पेड़ के नीचे आ जाती है। ग्रामीणों की इस पहाड़ी और प्रतिमाओं में अपार श्रद्धा है।
लालवीर यादव, ग्रामीण जसरथी
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