रायसेन

एक रात में नहीं बन सका, इसलिए आज भी अधूरा है भोजेश्वर महादेव का मंदिर

भोजपुर स्थित मंदिर में विराजा है एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग।

रायसेनJul 25, 2021 / 08:50 pm

praveen shrivastava

रायसेन. भोजपुर स्थित भोजेश्वर मंदिर आज भी अधूरा है, कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा भोज द्वारा कराया गया था। मंदिर निर्माण की शर्त थी कि एक रात में इसका निर्माण करना था, लेकिन निर्माण पूर्ण होने से पहले सूर्योदय हो गया और मंदिर का छत नहीं बन सका। इस मंदिर में एशिया का सबसे बड़ा एक पत्थर से बना शिवलिंग विराजित है। भोपाल से 32 किमी दूर रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज विकासखंड में स्थित भगवान भोजेश्वर महादेव की पूजन करने आज श्रावण माह के पहले सोमवार को सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचेंगे।
जिलहरी पर चढ़कर करते हैं पूजन
श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र इस मंदिर में भगवान की पूजन करना भक्तों के लिए कठिन है। शिवलिंग की ऊंचाई 40 फीट होने से पूजन करना संभव नहीं है, इसलिए भक्तों की ओर से केवल पुजारी ही जिलहरी पर चढ़कर पूजन करते हैं।
महाभारतकाल से जुड़ा इतिहास
इतिहासकारों की यह भी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव भीमबैठिका में कुछ दिन रुके थे। तब माता कुंती ने शिव पूजन की इच्छा जाहिर की। तब पांडवों ने एक विशाल मंदिर का निर्माण किया। बाद में राजा भोज के समय मंदिर का बाकी निर्माण किया गया। मंदिर के पास ही पवित्र बेतवा नदी बहती है।
पहले सोमवार इस तरह करें शिव आराधना
सावन के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। सोमवार का व्रत करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ब्रम्हमुहूर्त में स्नान करने के बाद मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें। सभी देवी देवताओं का शुद्ध जल से अभिषेक करें। शिवलिंग में गंगा जल और दूध अर्पित करें। पुष्प, बेलपत्र अर्पित कर भोग लगाएं और आरती करें। पूजन में पुष्प, पांच फल, पंच मेवा, दक्षिणा, कुशासन, दही, देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
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