ऐसे में किसानों का कहना है कि विभाग द्वारा नहरों की सफाई जल्द कराई जाए, जिससे किसान पलेवा कर बोवनी शुरु कर सकें। वहीं किसानों ने हर वर्ष नहरों की सफाई कराने में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग भी की है। क्योंकि विभाग के अधिकारी क्षतिग्रस्त नहरों की मरम्मत नहीं कराते, सिर्फ खानापूर्ति के लिए नहरों की सफाई कर देते हैं। मगर उनमें भी पानी निर्बाध रुप से नहीं पहुंचता, जिससे किसानों की फसलें सिंचाई के अभाव में रह जाती हैं।
उठ रहे विरोध के स्वर
जब मोघा डैम की क्षतिग्रस्त नहरों को लेकर विरोध के अब स्वर तेज होने लगे हैं। क्योंकि प्राकृतिक आपदाओं से मूंग की फसल बर्बाद होने के बाद किसान आगामी फसलों से उम्मीद लगाए बैठें हैं। मगर जल संसाधन विभाग के अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे।
देवरी में नहीं रहते विभाग के अधिकारी, कर्मचारी
किसानों का कहना है कि जब हमारे खेतों तक पानी नहीं पहुंचता तो हम देवरी में स्थापित जल संसाधन विभाग के दफ्तर पहुंचते हैं। मगर वहां पर अधिकारी, कर्मचारी नहीं मिलते। ऐसे में अब समस्या किसे सुनाएं और निराकरण कैसे हो सकेगा। क्योंकि जिम्मेदार अधिकारी मुख्यालय पर रुकना उचित नहीं समझते, जिससे किसानों की परेशानी की बढऩे लगी है।
हमने मोघा परियोजना नहरों का जायजा लिया, लेकिन अभी कुछ किसानों की धान लगी हुए है। इस कारण वहां की मरम्मत नहीं हो पा रही है। हालांकि कुछ जगह सफाई कार्य शुरु करवा दिया गया है। धान कटने के बाद एक सप्ताह के भीतर सभी जगह नहरों की सफाई और मरम्मत कार्य करा दिया जाएगा।
-केडी ओझा, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग रायसेन।