रायसेन

जब श्रीकृष्ण पर लगा था चोरी का झूठा इल्जाम, इसी स्थान पर मिटा था यह कलंक

Krishna Janmashtami 2020: जन्माष्टमी पर प्रस्तुत है श्रीकृष्ण से जुड़ी रोचक जानकारियां…।

रायसेनAug 10, 2020 / 02:13 pm

Manish Gite

जब श्रीकृष्ण पर लगा था चोरी का झूठा इल्जाम, इसी स्थान पर मिटा था यह कलंक

 

 

भोपाल। मध्यप्रदेश में एक गुफा है जो महाभारत कालीन बताई जाती है। इसके प्रमाणों के मुताबिक माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण यहां आए थे और उन्होंने 27 दिनों तक जामवंत के साथ युद्ध किया था। रायसेन जिले में जामगढ़ नाम का यह गांव विन्ध्यांचल पर्वत श्रंखला के बीच में है। यहीं पर वो गुफा है जहां भगवान श्रीकृष्ण झूठा कलंक मिटाने आए थे।

 

पत्रिका.कॉम पर प्रस्तुत है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष…।

 

महाबली जामवंत त्रेता युग के रामायण काल में भी थे और द्वापर युग के महाभारत काल में भी। रामायणकाल में वे विष्णु अवतार श्रीराम के प्रमुख सहायकों में से एक थे, वहीं महाभारत काल में उन्होंने विष्णु अवतार श्रीकृष्ण से युद्ध तक लड़ा, लेकिन आखिर उन्होंने ऐसा क्यों और किस लिए किया…। इसका रोचक जवाब पुराणों और शास्त्रों की रोचक कथाओं में मिलता है…।

 

कलंक मिटाने आए थे श्रीकृष्ण :-:

किंवदंती है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने ऊपर लगे स्यमंतक मणि की चोरी का कलंक मिटाने के लिये यहां आए थे। धार्मिक ग्रंथ प्रेमसागर में भी इसका उल्लेख मिलता है। रीछराज जामवंत की गुफा में यह युद्ध 27 दिनों तक हुआ था।

 

पुरातत्वविद कर चुके हैं अध्ययन :-:

गुफा के इतिहास को खंगालने और किंवदंतियों की सच्चाई जानने के लिए कई पुरातत्वविद यहां अध्ययन कर चुके हैं। फिलहाल देखरेख के अभाव में जामवंत की गुफा संकरी हो चुकी है। इस गुफा के आगे कई और छोटी गुफाएं हैं। इन गुफाओं की श्रृंखला प्राकृतिक शिव गुफा पर समाप्त होती है। भागवत महापुराण में भी उल्लेख है कि 27 दिनों के युद्ध के बाद जामवंत ने अपनी पुत्री जामवंती का विवाह श्रीकृष्ण के साथ कर दिया और स्यामंतक मणि उपहार में कृष्ण को दे दी।

 

यह है प्राचीन कथा :-:

सत्राजित ने भगवान सूर्य की उपासना की और उन्हें परिणामस्वरूप स्यमन्तक मणि प्राप्त हुई। भगवान कृष्ण जब चौसर खेल रहे थे तभी सत्राजित वह मणि को लेकर आया। इस दौरान सूर्य के समान चमक रहे सत्राजित को देख कृष्ण के साथ मौजूद यादवों ने कहा, “अरे सत्राजित! तुम्हारे पास अलौकिक दिव्य मणि है। वो तो किसी राजा के पास होना चाहिए। इस पर वो वहां से तुरंत चले गया और मणि को घर के मन्दिर में रख दिया। एक दिन सत्राजित का भाई प्रसेनजित उस मणि को पहनकर घोड़े पर सवार होकर शिकार पर गया। वन में प्रसेनजित और उसके घोड़े को एक सिंह ने मार डाला और मणि छीन ली। उस सिंह को ऋक्षराज जाम्बवन्त ने मारकर वह मणि ले ली और गुफा में चला गया। जाम्बवन्त ने उस मणि को अपने बालक का खिलौना बना दिया। जब प्रसेनजित वापस नहं आए तो उन्होंने समझा कि मेरे भाई को श्रीकृष्ण ने मारकर मणि छीन ली है। चोरी का यह संदेह परी द्वारिका में फैला दिया गया। जब यह बात श्रीकृष्ण को पता चली तो उन्होंने चोरी का कलंक मिटाने के लिए मणि की खोज में निकल पड़े। वे रीछ के पैरों के चिन्ह देखते हुए एक गुफा तक पहुंच गए। गुफा में जाकर श्रीकृष्ण ने देखा कि प्रकाशवान मणि को रीछ का एक बालक खेल रहा है। श्रीकृष्ण ने मणि को उठा लिया। यह देख जामवंत क्रोधित हो गए। इस दौरान 27 दिनों तक दोनों में युद्ध होता रहा।

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बरेली से 15 किमी दूर है यह स्थान :-:

भोपाल के पड़ोसी जिले में जबलपुर हाईवे पर है बरेली कस्बा। इसी कस्बे से 15 किलोमीटर दूर स्थित है विंध्याचल पर्वत श्रंखला के अंतर्गत पहाड़ों में यह गुफा आज भी है। यह गुफा भीतर ही भीतर कई किलोमीटर तक फैली हुई है। इस दुर्गम इलाकों में है। यहां जाने के लिए स्थानीय लोगों की मदद के साथ ही जाया जा सकता है। हालांकि यह स्थान बहुत दुर्गम इलाके में होने के कारण इस इलाके में आम लोगों का पहुंचना मुश्किल होता है।

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