रायपुर

कई कारणों से मनाया जाता है होली का त्योहार, बड़े-बड़े भक्त भी यह नहीं जानते

आज हम आपको कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में बताते हैं, जिसे होली के महापर्व की शुरुआत हुई…

रायपुरMar 09, 2020 / 11:48 pm

bhemendra yadav

रायपुर. फाल्गुन पूर्णिमा वाले दिन होलिका दहन के बाद अगले दिन चैत्र कृष्ण की प्रतिपदा वाले दिन रंगों से सराबोर दुलैंडी का पर्व मनाने की परंपरा है। देशभर में इस पर्व को बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। युगों पहली हुई घटनाओं को आज तक और जब तक यह दुनिया रहेगी तब तक होली का आनंद और उत्साह से मनाते रहेंगे। आज हम आपको कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में बताते हैं, जिसे होली के महापर्व की शुरुआत हुई…

1. प्रह्लाद के अलावा और भी कथाएं
रंगों और प्यार का प्रतीक होली पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस पर्व से जुड़ी प्रह्लाद और होलिका की कथा से तो सभी परिचित हैं, लेकिन होली की की कई और कहानियां व मान्यताएं भी प्रचलित हैं।

2. पूतना के वध की खुशी में उत्सव
कई कथाओं में होली का पूतना वध से भी संबंध जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि कंस के कहने पर पहुंची पूतना का श्रीकृष्ण ने वध कर दिया था। इसकी खुशी में गोकुल के लोगों ने रंग खेलकर उत्सव मनाया था।

3. कामदेव को फिर किया जीवित
कथाओं के अनुसार, तपस्या भंग करने पर शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। रति की प्रार्थना पर शिवजी ने अगले दिन कामदेव को जीवित किया। कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और जीवित होने की खुशी में रंग खेला जाता है।

4. बच्चों ने असुर का किया अंत
एक कथा के अनुसार, राजा रघु के समय एक असुर थी, जो सिर्फ बच्चों से डरती थी। फाल्गुन पूर्णिमा पर गुरु वशिष्ठ के कहने पर बच्चों ने लकड़ी जलाकर उत्सव मनाया और डर से असुर का अंत हो गया। तब से यह दिन उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

5. ऋषि मनु का हुआ था जन्म
श्री ब्रह्मपुराण के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा पर मन को एकाग्र कर जो लोग श्रीगोविंद के दर्शन करने जाते हैं, वे बैकुंठ लोक को प्राप्त करते हैं। इस दिन मंजरी और चंदन मिलाकर खाने का विशेष महत्व बताया जाता है। इसी दिन ऋषि मनु का भी जन्म हुआ था।

6. गेहूं की बालियों का प्रसाद
वैदिक काल में होली के पर्व को न्वान्नेष्ठ यज्ञ कहा जाता था। इसमें अधपका अन्न (होला) अग्नि को अर्पित करते थे। होला के कारण त्योहार का नाम होली पड़ा। इसीलिए होलिका दहन पर गेहूं की बालियों को पकाकर उसे प्रसाद के रूप में लिया जाता है।

7. होरियारे और शिव के गण
होली पर निकलने वाले होरियारों के जुलूस को भगवान शिव के गणों से भी जोड़ा जाता है। माना जाता है कि होली पर लोगों का नाचना-गाना, हुड़दंग मचाना शिवजी की बारात का दृश्य उपस्थित करता है।

8. खत्म होता है अशुभ काल

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्‍टमी से पूर्णिमा तक होलाष्‍टक माना जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसे अशुभ काल के तौर पर देखा जाता है। होलिका दहन के साथ ही इस अशुभ घड़ी का अंत हो जाता है।

9. आर्यों में थी ज्यादा प्रचलित
इतिहासकारों का मानना है कि होली पर्व आर्यों में भी प्रचलित था, लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में मनाया जाता था। नारद पुराण और भविष्य पुराण के अलावा तमाम धर्म ग्रंथों में भी इस पर्व के कई पहलुओं का उल्लेख मिलता है।

10. हरिद्रोही से नाम पड़ गया हरदोई
लखनऊ से लगे हरदोई शहर का होली से गहरा नाता है। बताया जाता है कि यह असुरों के राजा हिरण्यकश्यप की नगरी थी। उसके हरिद्रोही (ईश्वर विरोधी) होने के कारण इस नगरी को हरिद्रोही कहा जाता था। कहते हैं कि यही नाम बाद में बदलकर हरदोई पड़ गया।

11. मुगलों की ईद-ए-गुलाबी
मुगल शासक अकबर का जोधाबाई व जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का वर्णन इतिहास में है। शाहजहां के समय होली को ईद-ए-गुलाबी और आब-ए-पाशी (रंगों की बौछार) कहा जाता था।

12. मुस्लिम कवियों ने दिया सूफी रंग
प्रसिद्ध पर्यटक अलबरूनी ने भी अपने यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है। मध्य युग में अमीर खुसरो सहित कई मुस्मिल सूफी कवियों ने अपनी रचनाओं में होली को सूफियाना रंग दिया।

13. यहां की होली है कुछ खास
देश के तमाम हिस्सों में होली की रस्में और अलग-अलग ढंग हैं। ब्रज, मथुरा, वृंदावन, बरसाना की लट्ठमार होली के अलावा श्रीनाथजी और काशी की होली पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। ब्रज क्षेत्र में होली पर्व 16 दिन तक मनाया जाता है।

14. त्योहार एक, लेकिन नाम अनेक
पंजाब में होला महल्ला, पश्चिम बंगाल में वसंत उत्सव और ढोल जतरा, गोवा में शिगमो, मणिपुर में याओसांग, केरल में मंजाल कुली, बिहार में फगुआ, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में होली को रंगपंचमी भी कहा जाता है।

15. कई देशों में मनाते हैं त्योहार
भारत के अलावा नेपाल, मॉरीशस, फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद, पाकिस्तान और फिलीपींस में भी होली धूमधाम से मनाई जाती है। दुनियाभर के देशों से हर साल लाखों सैलानी भारत होली देखने भी आते हैं।

16. चैतन्य महाप्रभु का जन्मोत्सव
पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में होली पूर्णिमा को चैतन्य महाप्रभु के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्रीराधाकृष्ण की प्रतिमाओं को रथ पर सजाकर नगर कीर्तन निकाला जाता है। महिलाएं रथ के आगे-आगे नृत्य करती हैं।

17. साहित्य में होली के रंग
होली पर्व के संस्कृत और हिंदी साहित्य में कई रूप हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण में होली को रास बताया गया है। महाकवि सूरदास ने वसंत और होली पर 78 पद लिखे हैं। कृष्ण की लीलाओं में भी होली का विशेष उल्लेख होता है।

18. शास्त्रीय संगीत से अटूट नाता
शास्त्रीय संगीत का होली से अटूट संबंध है। ध्रुपद, धमार और ठुमरी के बिना तो होली को अधूरा ही माना जाता है। राजस्थान के अजमेर शहर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गाए जाने वाले होली के गीतों का अंदाजा ही अलग है।

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