चर्चा में वन विभाग की अपील, लोगो से कहा कि बंदरों व अन्य वन्य प्राणियों को न दें खाने-पीने की चीजें

केशकाल वन मण्डल द्वारा घाटी के कई मोड़ों पर अलग-अलग बोर्ड लगवा कर उसमें बंदरों को किसी प्रकार की खाद्य सामग्री न देने की अपील की गई है। उनके द्वारा बताया गया कि केशकाल वनमंडल के जंगलों में भी कई तरह के वनोपज उपलब्ध हैं, जो वन्य प्राणियों के भोजन के लिए पर्याप्त है।

<p>केशकाल की घाटी में बैठे बंदर</p>
रायपुर. जंगलों में विचरण करने वाले बंदरों को किसी प्रकार का खाद्य पदार्थ न देने की अपील की जा रही है। वन विभाग का तर्क है कि लोगों के खाद्य पदार्थ देने से बंदरों व अन्य वन्य प्राणियों के के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है। आजकल यह वन विभाग की यह अपील लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है,क्योंंकि जंगल से निकल कर बंदर जब सड़कों के किनारे या फिर धार्मिक स्थलों के आसपास बैठते हैं तो लोग उन्हें चना, केला आदि देते हैं और बंदर इन्हें बड़े चाव से खाते हैं। कई बार तो बंदर लोगों के पीछे-पीछे लगे रहते हंै।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन मंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देशानुसार वन विभाग द्वारा लोगों से यह अपील की गई है कि बंदरों सहित किसी भी वन्य प्राणियों को राहगीरों द्वारा खाद्य सामग्री नहीं दी जाए। इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) अतुल शुक्ल ने बताया कि वन्य प्राणियों को राहगीरों द्वारा खाद्य सामग्री अथवा भोजन देने पर वन्य प्राणी की जहां तबियत बिगडऩे की संभावना होती वहीं अन्य हिंसक घटनाओं के होने की आशंका भी बनी रहती है। छत्तीसगढ़ के जंगलों में वनोपजों की अकूत सम्पदा है तथा वन्य जीव हर मौसम व परिस्थितियों में अपने भोजन की व्यवस्था स्वयं करने में सक्षम होते हैं।
केशकाल वनमण्डलाधिकारी मणिवासगन एस. ने बताया कि पिछले कई सालों से केशकाल घाटी में रहने वाले बंदर दोपहर के आसपास अपना समय व्यतीत करने के लिए सड़कों के किनारे आकर बैठ जाते हैं, जिन्हें घाटी से आने-जाने वाले लोग प्रतिदिन कुछ न कुछ भोजन अथवा खाद्य सामग्री देकर जाते हैं। मानव द्वारा दैनिक जीवन मे खाये जाने वाले खाने को बंदरों के द्वारा खाये जाने पर उनमे से कुछ बंदरों की तबियत बिगडऩे की संभावना बनी रहती है।
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