रायगढ़

माता-पिता ने रखा गैजेट्स और टीवी से दूर, मेहनत से एक बेटी बनी जिले की पहली योग रैफरी दूसरी इंटरनेशनल प्लेयर

रायगढ़ की पहली महिला ब्लैक बेल्ट होने के साथ ही अंजली योग में पहली रैफरी भी रहीं। इसी तरह छोटी बहन ईशा ने 11 वर्ष की आयु में ब्लैक बेल्ट 1 डान की डिग्री हासिल की।

रायगढ़Oct 17, 2021 / 04:50 pm

Dakshi Sahu

माता-पिता ने रखा गैजेट्स और टीवी से दूर, मेहनत से एक बेटी बनी जिले की पहली योग रैफरी दूसरी इंटरनेशनल प्लेयर

चूड़ामणी साहू@रायगढ़. अपनी लगन और मेहनत से कम उम्र में अलग पहचान बनाने वाली अंजली और ईशा यादव के माता-पिता बड़े गर्व से कहते हैं कि उनकी बेटियां किसी से कम नहीं। रायगढ़ की पहली महिला ब्लैक बेल्ट होने के साथ ही अंजली योग में पहली रैफरी भी रहीं। इसी तरह छोटी बहन ईशा ने 11 वर्ष की आयु में ब्लैक बेल्ट 1 डान की डिग्री हासिल की। शास्त्रीय गायन व कथक में भी पुरस्कृत हो चुकी हैं।
टीचर माता-पिता से मिली सीख
इनके पिता प्राइवेट स्कूल में खेल शिक्षक और माता सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं। पिता जूडो कराटे और ताइक्वांडो से जुड़े रहे, तो माता को योग में रुचि थी। बचपन से माता-पिता से प्रेरणा मिली, लेकिन जब अन्य बच्चों को सीखते देखा तो दोनों ने निश्चय किया कि इसी खेल में पहचान बनाएंगी। अपनी मेहनत के दम पर ही दोनों बहनों ने पहचान बनाई है।
इंटरनेशनल स्तर पर बनाई पहचान
आज वे राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के योग और ताइक्वांडो स्पर्धा में शामिल होकर ख्याति अर्जित कर रही हैं। बचपन से ही दोनों बहनों ने ताइक्वांडो सीखना शुरू कर दिया था। आगे चलकर बड़ी बहन अंजली जिले की पहली ब्लैक बेल्ट लड़की बनीं। वहीं अंतरराष्ट्रीय योग स्पर्धा में शामिल होकर अंजली योग में भी जिले की पहली महिला रैफरी बनीं।
मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
वर्ष 2013 में अंजली को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला। ईशा ने पांच साल से ही योग, मार्शल आट्र्स में राज्य व राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में शामिल होना शुरू कर दिया था। दस बार शालेय क्रीड़ा स्पर्धा में शामिल रहीं। 11 वर्ष की आयु में ब्लैक बेल्ट में डिग्री लेने वाली ईशा शास्त्रीय गायन व कथक में भी कुशल हैं।
गैजेट्स से रहीं दूर
मंजिल पाने के लिए प्रैक्टिस बहुत जरूरी है। यह बात दोनों बहनों ने माता-पिता से सीखी थी। वे रोजाना नियमित दो घंटे अभ्यास करती रहीं। खेल के साथ पढ़ाई में भी आगे रहीं। बेटियां अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहे, इसलिए घर में टीवी नहीं लगवाया गया। दोनों बहनें भी गैजेट्स से दूर रहना चाहती हैं। वे बेहतर प्रदर्शन के लिए बाहरी खानपान की जगह घर के खाने को प्राथमिकता देती हैं।

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