तीनों घरानों का मिश्रण है रायगढ़ का घराना– रायगढ़. कथक घराने के रूप में लखनऊ, बनारस और जयपुर को मान्यता प्राप्त है रायगढ़ घराना इन तीनों का मिश्रण है। हर क्षेत्र में समय को देखते हुए कुछ न कुछ परिवर्तन हो रहा है लेकिन रायगढ़ घराने में एक प्यूरिटी नजर आती है। उक्त कथन होटल जिंदल रिजेंसी में प्रेस वार्ता के दौरान कथक कलाकार श्रीपर्णा चक्रवर्ती ने कहा। हांलाकि इस दौरान यह भी कहा गया कि रायगढ़ घराने में तीनों का मिश्रण हैं।
विदित हो कि रायगढ़ घराने को अभी तक पूरी तरह से मान्यता नहीं मिल सकी है। वहीं राजा चक्रधर सिंह द्वारा लिखे गए ग्रंथ के बारे में पूछे गए सवाल पर दोनो ही कलाकारों ने कहा कि शिक्षा बांटने से और बढ़ती है और इसे बाहर आना चाहिए ताकि लोग इसे जानें और समझें।
होना चाहिए रियल्टी शो- अन्य कला के लिए रियल्टी शो का आयोजन होता है। लेकिन कथक और क्लासिकल के लिए नहीं होता है। इसके लिए भी होना चाहिए। वहीं उन्होने बताया कि प्रस्तुति देने के लिए मंच मिलना चाहिए चाहे मंच हो या फिर टीवी लेकिन गरीमा बरकरार रहना चाहिए, हम पीछे नहीं हटते हैं।
विदित हो कि रायगढ़ घराने को अभी तक पूरी तरह से मान्यता नहीं मिल सकी है। वहीं राजा चक्रधर सिंह द्वारा लिखे गए ग्रंथ के बारे में पूछे गए सवाल पर दोनो ही कलाकारों ने कहा कि शिक्षा बांटने से और बढ़ती है और इसे बाहर आना चाहिए ताकि लोग इसे जानें और समझें।
होना चाहिए रियल्टी शो- अन्य कला के लिए रियल्टी शो का आयोजन होता है। लेकिन कथक और क्लासिकल के लिए नहीं होता है। इसके लिए भी होना चाहिए। वहीं उन्होने बताया कि प्रस्तुति देने के लिए मंच मिलना चाहिए चाहे मंच हो या फिर टीवी लेकिन गरीमा बरकरार रहना चाहिए, हम पीछे नहीं हटते हैं।
उल्टी बह रही गंगा तो कैसे टिकेगी यह परंपरा – अब उल्टी गंगा बह रही है ऐसे में गुरू-शिष्य परंपरा तो कम होगी ही उक्त कथन जिंदल गेस्ट हाउस में आयोजित एक प्रेस वार्ता में गजल गायक उस्ताद अहमद हुसैन एवं मोहम्मद हुसैन ने कहा। चक्रधर समारोह में शिरकत करने के लिए आए उस्ताद अहमद हुसैन एवं मोहम्मद हुसैन ने जिंदल गेस्ट हाउस में रविवार को रात ७ बजे प्रेस से चर्चा के दौरान गुरु-शिष्य परंपरा के कम होने की बात को लेकर उठे एक सवाल में बताया कि पहले गजल व शास्त्रीय संगीत को सिखने के लिए पहले लोग गुरुकुल जाते थे, लेकिन अब गुरु घर में जाकर सिखाते हैं। उन्हें घर पर बुलाया जाता है। इसके कारण उक्त रिवाज खत्म होता जा रहा है। गजल गायन के लिए उर्द पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं है।
स्वर प्रधान होता है शास्त्रीय संगीत – दोनो कलाकरों ने प्रेस वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में बताया कि शास्त्रीय संगीत स्वर प्रधान होता है और इसके उलट सुगम संगीत शब्द प्रधान होता है। इसके अलावा गजल में समय के हिसाब से राग व प्रस्तुति होती है। इसके आधार पर बंदिशे प्रस्तुत की जाती हैं।
स्वर प्रधान होता है शास्त्रीय संगीत – दोनो कलाकरों ने प्रेस वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में बताया कि शास्त्रीय संगीत स्वर प्रधान होता है और इसके उलट सुगम संगीत शब्द प्रधान होता है। इसके अलावा गजल में समय के हिसाब से राग व प्रस्तुति होती है। इसके आधार पर बंदिशे प्रस्तुत की जाती हैं।