29 मई को एक्सपायरी हुआ बिस्किट, 2 जून को थोक में कर दिया सप्लाई

विवाद बढ़ा तो एजेंसी संचालक ने सामान वापस लेकर रुपए लौटाए

<p>विवाद बढ़ा तो एजेंसी संचालक ने सामान वापस लेकर रुपए लौटाए</p>
रायगढ़. रायगढ़ रेलवे स्टेशन के खान-पान स्टॉलों पर स्थानीय बिस्किट एजेंसी के संचालक द्वारा एक्सपायरी सामान की सप्लाई की जा रही है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब दुकान संचालक ने एक सप्ताह पहले मंगाए गए सामान की पेटी खोली। उसमें कएक दो नहीं बल्कि पूरी पेटी की पेटी ही एक्सपायरी बिस्किट की थी।
जो 29 मई को ही एक्सपायरी हो गया था। उसके बावजूद 2 जून को उसकी सप्लाई की गई है। पहले तो एजेंसी संचालक ने उक्त माल को अपना बताने से इंकार करते हुए पल्ला झाड़ लिया। जब मीडिया तक यह बात पहुंची तो एजेंसी संचालक ने एक्सपायरी बिस्किट की खेप को वापस लेते हुए रुपए लौटाया। जिसके बाद स्टॉल संचालक ने राहत की सांस ली।
अगर आप रेलवे स्टेशन के खान-पान स्टॉल से कुछ सामान खरीद रहे हैंं तो उसकी उत्पादन तिथी के साथ ही एक्सपायरी तारीख भी जरुर देख ले। क्योंकि कमाई के चक्कर में स्थानीय एजेंसी संचालक द्वारा एक्सपायरी सामान की खेप की सप्लाई की जा रही है। जिसका एक बार फिर खुलासा हुआ है।
मिलीह जानकारी के अनुसार मामला प्लेटफार्म नंबर एक पर स्थित बच्चू के स्टॉल से जुड़ा हुआ है। जो हमेशा की तरह 2 जून को भी ब्रिटेनिया कंपनी के प्रोडक्ट की एक बड़ी खेप स्थानीय एजेंसी संचालक संदीप रामगढिय़ा से लिया। जिसका एजेंसी संचालक द्वारा सामान की मात्रा, कीमत, डिस्काउंट व अन्य का उल्लेख करते हुए बील दिया गया। जरुरत के हिसाब से जब स्टॉल संचालक बच्चू ने कंपनी के गूड डे चोको एलमोड बिस्किट के पेटी को दुकान पर सजाने की कवायद कर रहा था तो उसकी नजर उसके उत्पादन के साथ एक्सपायरी पर गई।
बिस्किट की उत्पादन तिथी 28 दिसंबर 2017 दर्ज की गई थी। जब उत्पादन तिथी के 5 माह बाद उक्त बिस्किट को एक्सपायरी होने का हवाला, उसके रैपर पर था। स्टॉल संचालक को लगा कि पेटी को गलती से एक-दो पैकेट आ गया है। पर उसने जब एक-एक कर सभी बिस्किट को देखा तो सभी में उत्पादन तिथी 28 दिसंबर 2017 ही दर्ज था। जिसके लिहाज से 28 मई को ही उक्त बिस्किट की खप एक्सपायरी हो गया था। उसके बावजूद 2 जून को प्लेटफार्म के स्टॉल संचालक को भारी मात्रा में उक्त खेप की सप्लाई कर दी गई।


पहले झाड़ा पल्ला, फिर वापस लिया सामान
स्टॉल संचालक द्वारा जब इस मामलेे की शिकायत एजेंसी संचालक संदीप से की गई तो उसने पल्ला झाड़ लिया। जब मीडिया को इस बात की भनक लगी और एजेंसी संचालक से इस संबंध में उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने उक्त एक्सपायरी खेप को अपना होने से इंकार किया। फिर बाद में स्टॉल संचालक से बात करने की दलील देते हुए फोन काट दिया। स्टॉल संचालक ने बताया कि एजेंसी संचालक पहले नाटक किया7 फिर एक्सपायरी सामान की खेप को वापस लेते हुए रुपए लौटाए।

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रेल अधिकारी भी नहीं करते हैं जांच
प्लेटफार्म पर खान पान स्टॉल पर बिकने वाले सामान की गुणवत्ता संबंधी जांच के लिए एक रेल अधिकारी को भी नियुक्त किया गया है।

पर उनके द्वारा भी नियमित रुप से जांंच नहीं की जाती है। हलांकि इस मामले में स्टॉल संचालक ने समय रहते उसे खेप को देख लिया और बिक्री करने से पहले उसे एजेंसी संचालक को वापस कर दिया। जिससे यात्रियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होते-होते बच गया। हलांकि यह कोई नहीं बात नहीं है। इससे पहले भी एक्सपायरी कोल्डड्रिंक, नमकीन की सप्लाई का खुलासा हो चुका है।

सादे बील पर जीएसटी के साथ भुगतान
स्टॉल संचालक बच्चू ने इस बात का भी खुलासा कि ब्रिटेनिया कंपनी के एजेंसी संचालक द्वारा गुलाबी रंग के एक सादे कागज में उक्त सामान को बील बना कर दिया जाता है। जिसमें जीएसटी चार्ज शामिल होने की बात कही जाती है। पर उक्त बील में ना तो एजेंसी संचालक का टीन नंबर है और ना ही वैट नंबर। खास बात तो यह है कि उक्त सादे बील मेंं फर्म का नाम भी दर्ज नहीं है। जिससे उसके रजिस्टे्रशन की जानकारी हो सके।

 

-एक्सपायरी बिस्किट की खेप हमारी नहीं है। हमने जो भी सामान दिया है वो सब ठीक था। स्टॉल संचालक उक्त खेप को किसी और से या फिर पहले लिया होगा। जो रखे-रखे एक्सपायरी हो गया होगा।
-संदीप रामगढिय़ा, एजेंसी संचालक, रायगढ़
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