रायबरेली. न्याय पंचायत के चुनाव आते ही गांव में प्रधान के चुनाव को लेकर गांव की गलियों से लेकर शहर तक में चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा है।जगह जगह चाय और पान की दुकानों पर एवं गांव की चौपालों में एक ही चर्चा हो रही है कि अबकि बार गांव का प्रधान कौन बनेगा और किसे बनाया जाये जिससे गांव का विकास हो सके। इसी पर पत्रिका ने कुछ चाय की दुकान पर कुछ लोगों से बातचीत की ।
पंचायत चुनाव में नौजवानों की भागीदारी हीं लाएगी बदलाव अखिल भारतीय किसान महासभा संगठन के पदाधिकारी अफरोज आलम ने बताया कि मै पहले एक किसान हूं और गांव में प्रधान पद के लिये चुनाव की तैयारियां शुरु हो चुकी है। उन्होने कहा कि आज और पहले के चुनाव में काफी अन्तर दिखाई दे रहा है। आज का युवा नवजवान पढ़ा लिखा है और देश में हो रहे विकास और सरकारी योजनाओं की जानकारी रख रहा है साथ ही जनता की बातों को अच्छी तरह से वह समझ रहा है। ऐसे युवा अगर प्रधान बनते है तो गांव का विकास तो होगा ही साथ ही भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी। बुजुर्ग भी इस पद पर अपनी जगह बनाने में लगे है । महिलाओं और युवा लड़किया भी प्रधान पद के लिये चुनाव के मैदान में दिखाई पड़ रही है। वह समय गया जब पत्नी की जगह पति पूरी तरह से सीट पर काबिज हुआ करते थे। आज की महिलायें शिक्षित है वह अच्छा और बुरा सभी तरह को समझती है। इस तरह गांव के प्रधान पद में सभी लोगों का योगदान है और कोई भी इस चुनाव में खड़ा हो सकता है और जनता के दिये गये वोट से जनता में एक नयी सुबह ला सकता है।