जांच के लिए भटकती गर्भधात्री और प्रसूताएं

प्रतापगढ़.जिला चिकित्सालय में गर्भधात्री और प्रसूताओं को जांच के लिए तीन सौ मीटर दूर मुख्य चिकित्सालय की लैब तक खुद ही पैदल जाना पड़ रहा है। कुछ समय पहले मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई में सभी जांचों की सुविधाएं उपलब्ध थी, लेकिन पिछले कुछ समय से यहां पर कुछ जांचे बंद कर मुख्य चिकित्सालय में ही की जा रही है। ऐसे में प्रसूताओं को एचआईवी एवं वीडीआरएल जांच के लिए मुख्य चिकित्सालय की लैब में जाना पड़ रहा है। 

<p>जांच के लिए भटकती गर्भधात्री और प्रसूताएं</p>

….मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई में कई जांच बंद
….मुख्य चिकित्सालय की लैब में जाना पड़ता है जांच के लिए
….तीन सौ मीटर से अधिक का लगाना होता है चक्कर
प्रतापगढ़.
जिला चिकित्सालय में गर्भधात्री और प्रसूताओं को जांच के लिए तीन सौ मीटर दूर मुख्य चिकित्सालय की लैब तक खुद ही पैदल जाना पड़ रहा है। कुछ समय पहले मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई में सभी जांचों की सुविधाएं उपलब्ध थी, लेकिन पिछले कुछ समय से यहां पर कुछ जांचे बंद कर मुख्य चिकित्सालय में ही की जा रही है। ऐसे में प्रसूताओं को एचआईवी एवं वीडीआरएल जांच के लिए मुख्य चिकित्सालय की लैब में जाना पड़ रहा है। इस संबंध में यहां प्रसूताओं के साथ आने वाले परिजनों की ओर से जिला चिकित्सालय प्रशासन को शिकायत भी की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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कब होती जांच
किसी भी महिला के प्रसव धारण करने के बाद से प्रसव होने के नौ महीने के भीतर एक बार एचआईवी एवं वीडीआरएल की जांच आवश्यक रूप से करवानी होती है।
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रोजाना 50 महिलाओं की जांच
यहां मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में रोजाना औसत 50 महिलाएं जांच के लिए पहुंचती है। जिसमें गर्भधात्री महिलाओं के साथ प्रसूताएं भी शामिल है। इनकी विभिन्न प्रकार की जांचें करानी होती है।
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तीन सौ मीटर दूर जांच केंद्र
यहां जिला चिकित्सालय की मातृ एवं शिशु इकाई की प्रयोगशाला में महिला की सीबीसी, ब्लड ग्रुप, एचबी, हैपेटाइटस बी आदि जांचें की जाती है। जबकि दूसरी तरफ यहां जिला चिकित्सालय के पुराने वार्ड के 30 नंबर कमरे में महिला की एचआईवी और वीडीआरएल की जांच की जाती है।
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रहती है अनहोनी की आशंका
प्रसव पीडि़त महिला की आधी जांचें जिला चिकित्सालय के मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई में और आधी जांचें पुराने जिला चिकित्सालय के कमरा नंबर 30 में करवानी होती है। इस प्रकार प्रसव से पीडि़त एक महिला को अलग-अलग जांच करवाने के लिए ब्लड सैंपल लेकर एक वार्ड से दूसरे वार्ड में जानकारी के अभाव में भटकना पड़ता है। जिसके कारण ना तो समय पर काम होता है और ना ही जांच केंद्र मिलता है। जानकारी के अभाव में कई बार महिला का भटकते भटकते समय निकल जाता है और जांच नहीं हो पाती है। वहीं दूसरी ओर प्रसव से पीडि़त महिलाओं को कई बार घबराहट, चक्कर आना, उल्टी होना आदि समस्याएं होती है। उसके बाद भी दो अलग-अलग केंद्रों पर जांच करवाने के लिए तीन सौ मीटर की दूरी पार करने लिए बाध्य होना पड़ता है। जिसके कारण कभी भी प्रसव पीडि़त महिलाओं को किसी प्रकार की कोई गंभीर दुर्घटना का शिकार होना पड़ सकता है।
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तीन माह के लिए थी व्यवस्था, पुन: भेजेंगे प्रस्ताव
मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई में आईसीटीसी सेंटर को तीन माह के लिए चलाया गया था। यह सेंटर मुख्य चिकित्सालय के लिए स्वीकृत है। ऐसे में इसे ढाई माह पहले जिला चिकित्सालय में शिफ्ट किया गया था। महिलाओं की परेशानी को देखते हुए मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई में शुरू कराने के लिए शीघ्र ही प्रस्ताव बनाकर भिजवाएं जाएंगे।
—–डॉ. ओपी दायमा, प्रमुख चिकित्साधिकारी, जिला चिकित्सालय, प्रतापगढ़
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