नगरपरिषद की कवायद बेअसर, बदस्तूर है पॉलीथिन का उपयोग

-नगरपरिषद ने गत वर्ष महिला दिवस पर शुरू की थी रोकथाम की कवायद

प्रतापगढ़.
सरकार भले ही लाख नियम बना दे लेकिन यदि प्रशासन का रवैया सुस्त है तो न तो कोई नियम प्रभावी ढंग से लागु हो सकता है और न कोई प्रावधान। ऐसा ही कुछ प्लास्टिक पर प्रतिबंध के प्रावधान के साथ भी हो रहा है। प्रशासन की अनदेखी के चलते जिले में अब भी पॉलीथिन की थेलियों का खुलेआम उपयोग हो रहा है, और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। नगरपरिषद की ओर से पिछले वर्ष महिला दिवस पर पॉलिथिन को बंद करने की मुहिम शुरू की गई थी। इसके लिए इन्हें जब्त करने के साथ ही आमजन और दुकानदारों से समझाइश के साथ ही कपड़े की थेलियां भी बांटी गई थी लेकिन बाद में इसकी अनदेखी कर दी गई और फिर ढाक के तीन पात हो गए।
बीते 7 साल, नतीजा सिफर
प्लास्टिक के दुष्प्रभावों को देखतेे हुए राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लास्टिक कैरीबेग के उत्पादन, भण्डारन, परिवहन एवं उपयोग पर एक अगस्त 2010 से पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। प्रतिबंध लगे सात साल से ज्यादा समय बीत चुका है। इस दौरान कुछ कार्रवाई करते हुए पॉलीथिन जब्त भी की गई, लेकिन लगातार कार्रवाई के अभाव में अब भी प्रतिबंध का लगातार उल्लंघन हो रहा है। पॉलीथिन पर रोक नहीं लग पाने के लिए जहां प्रशासनिक अनदेखी जिम्मेदार है वहीं ग्राहकों में नैतिक जिम्मेदारी का अभाव भी इसके चलन का प्रमुख कारण है। ग्राहक सामान रखने के लिए पॉलीथिन की मांग करता है जिसके चलते न चाहते हुए भी दुकानदारों को पॉलीथिन रखने पर बाध्य होना पड़ता है।
कोई छुपकर, कोई खुलेआम
जिले में इस समय लगभग सभी बाजारों में पॉलीथिन का चलन है। यह बात अलग है कि कुछ दुकानदार खुलेआम इनका उपयोग कर रहे हैं तो कुछ बहुत मजबूरी में छिप-छिपाकर इन्हे निकालते है। कुछ बड़े दुकानदार जरुर इनका चलन बंद कर सामान देने के लिए कपड़े के बैग, सेल्यूलोज से निर्मित थैले, कागज के थैले, केनवास बैग, जूट बैग और कॉयर मैटेरियल से निर्मित बेग का उपयोग कर रहें हैं। इधर अधिकांश छोटे दुकानदारों, फुटकर विक्रेताओं, सब्जी विक्रेताओं में किसी कार्रवाई का भय नही। ये खुलेआम पॉलीथिन का उपयोग कर रहे हैं।
कार्रवाई का नहीं डर
प्रशासन की ओर से पॉलीथिन उपयोग के खिलाफ कार्रवाई के दौरान केवल थेलियां जब्त कर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है। जिसके चलते दुकानदारों ने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया है। लोगों ने पॉलीथिन उपयोग के नए-नए तरीके इजाद कर लिए हैं। अब दुकानदार कम मात्रा में थेलियां रखकर उनका उपयोग करते है, कार्रवाई की स्थिति में अगर थेलियां जब्त भी हो जाती हैं तो ज्यादा नुकसान नहीं होने से उन्हे इसका कोई मलाल नहीं होता। नतीजतन पॉलीथिन का चलन बदस्तूर जारी है और इस पर प्रभावी रोक नहीं लग पा रही। नियमों के अनुसार प्लास्टिक थेली का उपयोग करते पकड़े जाने पर एक लाख का जुर्माना व पांच वर्ष की सजा निर्धारित है, लेकिन प्रशासन के सुस्त रवैये के कारण वे सिर्फ थेलिया जब्त कर औपचारिकता पूरी कर देते है, इससे दुकानदारों व ग्राहकों में जुर्माना लगने का खौफ नही है। जिसके चलते लोग खुलेआम इनका प्रयोग कर प्लास्टिक पर प्रतिबंध के प्रावधान की धज्जियां उड़ा रहे है।
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करते हैं कार्रवाई
नगरपरिषद की ओर से पॉलिथिन की रोकथान की कवायद की जा रही है। लोगों से समझाइश के साथ ही अभियान भी चलाएं हैं। आगे कार्रवाई और तेज की जाएगी।
अशोक कुमार जैन, आयुक्त, नगरपरिषद, प्रतापगढ़
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