कांठल के किसान अब हाईटेक की राह पर

प्रतापगढ़. हालांकि प्रतापगढ़ जिला पिछड़ी श्रेणी में आता है। लेकिन यहां के किसानों को हाइटेक किया जा रहा है। इसके लिए कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से किसानों के सर्वांगीण विकास के लिए वाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पर किसानों को जोड़ा गया है। जिसमें केन्द्र की ओर से नवीन तकनीकी के बारे में बताया जाता है। इसके साथ ही किसानों की समस्याएं और शंकाओं का समाधान भी किया जा रहा है

<p>कांठल के किसान अब हाईटेक की राह पर</p>

किसान अब ऑनलाइन जुड़ रहे कृषि विज्ञान केन्द्र से
किसानों को वॉट्सएप ग्रुप और फेसबुक पर दी जाती है समय-समय पर सलाह
प्रतापगढ़.
हालांकि प्रतापगढ़ जिला पिछड़ी श्रेणी में आता है। लेकिन यहां के किसानों को हाइटेक किया जा रहा है। इसके लिए कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से किसानों के सर्वांगीण विकास के लिए वाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पर किसानों को जोड़ा गया है। जिसमें केन्द्र की ओर से नवीन तकनीकी के बारे में बताया जाता है। इसके साथ ही किसानों की समस्याएं और शंकाओं का समाधान भी किया जा रहा है। जिसमें किसान भी खेती के बारे में अन्य किसानों के साथ कृषि वैज्ञानिकों से जुड़े हुए है।
गौरतलब है कि कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से किसानों को उन्नत तकनीकी की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। वहीं नवाचार और समस्याओं के लिए वॉट्सएप ग्रुप से जिले के प्रगतिशील किसान जुड़े हुए है। कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से दो वर्ष पहले यह नवाचार शुरू किया था। इन किसानों को नवाचर के साथ समस्याओं पर समाधान भी बताया जाता है। वहीं कई किसान तो वैज्ञानिकों से फेसबुक पर भी समस्याओं पर समाधान की जानकारी लेते है। केन्द्र की ओर से अब तक यहां पांच वाट्सएप ग्रुप में नौ सौ किसान जुड़े हुए है। जो जिले के करीब सभी गांवों से है। जिससे सभी गांवों तक कृषि विज्ञान केन्द्र की पहुंच है।
-किसानों को दिया प्रशिक्षण
कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से अब तक ८६ संस्थागत प्रशिक्षण, २३० असंस्थागत प्रशिक्षण, ४५ प्रायोजित प्रशिक्षण व १५ प्रसार कार्यकर्ता के प्रशिक्षण आयोजित किए गए। जिसमें १२४५ कृषक एवं कृषक महिलाएं लाभान्वित हुए। इसके साथ ही केन्द्र द्वारा फार्मर पोर्टल से ६८ हजार ३५४ किसानों को लाभान्वित किया गया। केन्द्र द्वारा दो स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया। केन्द्र द्वारा १४ गांवों का बैच मार्क सर्वे किया गया। १६५४ किसानों को फार्मर पोर्टल डेटा बेस पर जोड़ा गया।
=विशेष क्षेत्र में पारंगत
कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से किसानों को विभिन्न क्षेत्र में पारंगत करने के लिए प्रयास किए जा रहे है। जिसमें खेती के साथ अन्य क्षेत्र में पारंगत किया जा रहा है। किसानों को रुचि और दक्षता के अनुसार खेती और व्यवसाय के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा। केन्द्र की ओर से अब तक बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गीपालन, बकरी पालन के बारे में भी प्रशिक्षण दिए जाते है।
हर गांव में होना प्रशिक्षित किसान
केन्द्र की ओर से प्रत्येक गांव में प्रशिक्षत किसान तैयार किया जा रहा है। जिससे वहां के अन्य किसानों को वह पूरी तकनीकी और अन्य जानकारी समय-समय पर उपलब्ध करा सके। जिले में करीब एक हजार से अधिक गांव-ढाणियां है। यहां करीब साढ़े तीन लाख से अधिक लोग खेती से जुड़े हुए है। केवीके की ओर से एक किसान को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जैविक खेती के साथ किसानों की आए बढ़ें
जिले में जैविक खेती के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने पर पूरा प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही जो उपज खेतों में पैदा हो रही है, वो भी जैविक हो, इसके लिए हम किसानों को सलाह दे रहे है। समय-समय पर उन्नत किस्म के बीजों का वितरण, उत्पादन करा रहे है। समस्याओं के समाधान के लिए पांच वाट्सएप ग्रुप बना रखे है। जिन पर किसानों को सलाह दी जाती है। वहीं फेसबुक पर भी किसानों से जुड़ाव बढ़ता जा रहा है। जिससे गांवों में किसान हाईटेक हो रहे है।
डॉ. योगेश कन्नोजिया
प्रभारी, कृषि विज्ञान केन्द्र, प्रतापगढ़
:::::::
यह है प्रतापगढ़़ जिले की स्थिति
प्रतापगढ़ जिला प्राकृतिक सौन्दर्य से आच्छादित वागड़, मेवाड़ एवं मालवा की जीवनशैली का यह संगम जिला है। यह राजस्थान राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है। जबकि प्रमुख फसलें गेहंू, सोयाबीन, गेहूं, मक्का, उड़द, चना, कपास, अफीम, मसूर है। यहां की मिट्टी काली व चिकनी है। जिले का क्षेत्रफल 4117.36 वर्ग किलोमीटर है। लघु जिला होने के बावजूद यहां की जलवायु विभिन्न फसलों, उद्यानिकी, वानिकी आदि के लिए उपयुक्त है। ऐसे में यहां खेती के साथ बागवानी, पशुपालन आदि की प्रचुर संभावनाएं है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.