भारत में पहली AUDI कार के मालिक थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, आज यहां खड़ी है ये कार

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पास 1937 मॉडल की ऑडी रैंडरर डब्ल्यू 24 ( Audi wanderer W24 ) थी जो कि एक ऐतिहासिक कार है।

<p>भारत में पहली AUDI कार के मालिक थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, आज यहां खड़ी है ये कार</p>

आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस ( subhash chandra bose ) की 122वीं जयंती है। 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में जन्मे सुभाष चंद्र बोस को प्यार से नेताजी कहते थे। नेताजी का सबसे प्रसिद्ध नारा था ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ जोकि आज तक लोगं के दिलों में जोश भर देता है। आज हम आपको उनकी जयंती के मौके पर उनकी कारों के बारे में बता रहे हैं जो कि आज भी देश की धरोहर के रूप मेें सलामत रखी हुई है।

नेताजी के पास 1937 मॉडल की ऑडी रैंडरर डब्ल्यू 24 ( Audi wanderer W24 ) थी जो कि एक ऐतिहासिक कार है। नेताजी को ड्राइविंग का शौक, जिसके लिए उन्होंने ये कार खरीदी थी। इस कार को 12 मेकैनिकों ने रिस्टोर किया है, जिसके बाद जाकर ये कार अपने पहले वाले लुक में वापस आई है। इंजन और पावर की बात की जाए तो इस कार में 1767 सीसी का 4 सिलेंडर वाला इंजन दिया गया है जो कि 3500 आरपीएम पर 42 एचपी की पावर जनरेट करता है। अधिकतम रफ्तार की बात की जाए तो ये कार किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सकती है।

4 स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन से लैस इस कार में 40 लीटर की क्षमता वाला फ्यूल टैंक दिया गया है। आकार की बात की जाए तो इस कार की लंबाई 4280 एमएम, चौड़ाई 1645 एमएम, ऊंचाई 1600 एमएम, व्हीलबेस 2600 एमएम और ग्राउंड क्लीयरेंस 200 एमएम है। वर्तमान में बिक रही ऑडी क्यू 7 का व्हीलबेस भी डब्ल्यू 24 जितना ही है। पूरी दुनिया में ऑडी डब्ल्यू 24 की सिर्फ 22500 यूनिट्स ही बेची गई थीं। भारत में सुभाष चंद्र बोस पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने ये कार खरीदी थी।

सुभाष चंद्र बोस कोलकाता में अपने घर से इसी कार में ही बैठकर दिल्ली की ट्रेन पकड़ने की लिए भागे थे। नेता जी के भागने के 76वीं वर्षगांठ पर इस कार को कोलकाता स्थित नेता जी रिसर्च ब्यूरो के 60वें स्थापना दिवस पर रीस्टोर करके शोकेस किया गया है। आज भी नेताजी की मौत पर रहस्य है। नेताजी 18 अगस्त, 1945 को हवाई जहाज से मंचूरिया जा रहे थे और सफर के दौरान ताइहोकू हवाई अड्डे पर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। बाद में पता चला कि इस तरह का कोई भी विमान हादसा नहीं हुआ था, इसलिए आज भी सुभाष चंद्र बोस का निधन सबसे बड़ा रहस्य है।

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