पढ़ें- क्या नीतीश कुमार के लिए ‘लकी’ है 7 नबंर, आकंड़े तो कुछ ऐसे ही इशारे कर रहे? लगातार बिगड़ती रही लोजपा की हालत दिवंगत नेता रामविलास पासवान ने साल 2000 में लोजपा की स्थापना की थी। वहीं, 2005 फरवरी के विधानसभा चुनाव में पहली बार पार्टी चुनावी मैदन में उतरी। इस चुनाव में लोजपा 178 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें पार्टी को 29 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, वोट प्रतिशत 12.62 रहा था। वहीं, 2005 अक्टूबर में फिर चुनाव हुआ। इस चुनाव में पार्टी ने 203 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जिसमें 10 सीटों पर जीत मिली। वहीं, वोट प्रतिशत भी 11.10 पर पहुंच गया। इसके बाद 2010 विधानसभा चुनाव में लोजपा 75 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन उसे केवल तीन सीटों पर ही जीत मिली। वहीं, वोट प्रतिशत 6.74 रहा। 2015 में एक बार फिर लोजपा ने 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। लेकिन, केवल दो सीटों पर ही पार्टी को जीत मिली। वहीं, वोट प्रतिशत घटकर 4.80 पर पहुंच गया। साल, 2020 में पार्टी का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। केवल एक सीट ही लोजपा के खाते में गई। जबकि, वोट प्रतिशत 5.66 रहा।
क्या चिराग पचा पाएंगे पिता की विरासत! अगर आंकड़ों पर आप गौर करेंगे तो साफ स्पष्ट है कि लगातार पार्टी की स्थिति बिगड़ती ही चली गई है। वहीं, वोट प्रतिशत में भी कमी आई है। हालांकि, इस साल वोट प्रतिशत जरूर बढ़ा है। लेकिन, चिराग पासवान इस चुनाव में पूरी तरह फेल हो गए। ना तो वह ‘विरासत’ को बचाने में कामयाब हुए और ना ही ‘विरासत’ को आगे ले जा सके। गौरलतब है कि इस बार लोजपा NDA से अलग होकर 135 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन, केवल एक सीट पर ही जीत मिली। एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या लोजपा अकेले चुनाव लड़ने में सक्ष्म नहीं है?