क्या है नियम-193, जिसके तहत दिल्ली दंगे पर आज होगी लोकसभा में चर्चा?

इस नियम के तहत बहस के बाद मतदान नहीं कराया जाता
लिखित में सूचना देकर तत्कालिक महत्व के विषयों बहस संभव
ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित कराने का प्रावधान

<p>लोकसभा में दिल्ली हिंसा पर सरकार बहस के लिए तैयार। </p>
नई दिल्ली। काफी जद्दोजहद के बाद केंद्र सरकार बुधवार को लोकसभा में दिल्ली के दंगों पर अपने वादे के मुताबिक संसद में चर्चा के लिए तैयार हो गई है। दिल्ली दंगे पर चर्चा नियम-193 के तहत होगी। चर्चा का जवाब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देंगे। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है नियम-193 क्या होता है? आइए हम आपको बताते हैं कि इस नियम के तहत क्या होता है?
दरअसल, भारतीय संविधान के लागू होने के बाद 17 अप्रैल, 1952 को प्रथम लोकसभा के गठन के साथ उसके संचालन की प्रक्रिया के नियम भी तैयार कर लिए गए थे। हालांकि ये नियम मुख्य रूप से संविधान सभा के लिए बनी नियमावली पर आधारित थी। उसी नियमावली के तहत नियम १९३ आता है। लोक सभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के अध्याय XV में नियम-193 शामिल हैं। नियम-193 यह बताता है कि कोई सदस्य तात्कालिक सार्वजनिक महत्व के एक मामले पर चर्चा के लिए अपने अनुरोध को लिखित रूप में कैसे प्रस्तुत करेगा।
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संसदीय कामकाज के नियम 193 के तहत सदन में बिना वोटिंग के तहत बहस का प्रावधान है। किसी मुद्दे पर चार घंटे तक लोकसभा सदस्यों को चर्चा की अनुमति दी जाती है। जबकि लोकसभा के नियम 342 के तहत बिना वोटिंग के लोकहित के किसी मुद्दे पर चर्चा कराई जा सकती है। इसमें ध्वनिमत का प्रावधान है जिसके बाद प्रस्ताव पारित हो सकता है। चर्चा खत्म होने के बाद कोई सवाल नहीं पूछे जाते हैं।
बता दें कि बुधवार को लोकसभा में बजट सत्र टू हंगामेदार रहने की उम्मीद है। कांग्रेस, आप सहित अन्य विपक्षी दल दिल्ली दंगे पर सरकार को घेरने की कोशिश करेंगे। दूसरी तरफ सरकार के एजेंडे में लोकसभा में एयरक्राफ्ट (संशोधन) बिल 2020 पास कराने की है। इसी तरह राज्य सभा में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय बिल 2019, राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग बिल 2019 और राष्ट्रीय होमियोपैथी बिल 2019 पेश कर पारित करवाना है। लोकसभा से भेजे गए बिल ‘विवाद से विश्वास’ को भी राज्य सभा में चर्चा कर पारित करवाना है।
दिल्ली हिंसाः लोकसभा में नियम-193 के तहत सरकार चर्चा के लिए तैयार, गृह मंत्री अमित शाह देंगे
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