उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार गन्ना किसानों की जिस तरह अनदेखी कर रही है। उससे उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब होती जा रही है। चीनी मिल मालिकों ने पिछले पेराई सत्र में जिस तरह उनकी तौल की पर्चियों में वजन अंकित नहीं किया। समय पर भुगतान नहीं किया उससे वह चालू पेराई सत्र में चिंतित है। पिछला 14 हजार करोड़ रुपया भुगतान न होने से वह ठगा हुआ महसूस कर रहा है। जिस तरह राज्य सरकार गन्ना किसानों के साथ व्यवहार कर रही है। उससे स्पष्ट हो चुका है कि भाजपा की नीतियां गन्ना किसान विरोधी है जिसे कांग्रेस बर्दास्त नहीं करेगी।
किसानों का बकाया भुगतान करे सरकार
अजय लल्लू ने कहा कि सरकार की विरोधाभासी व किसान विरोधी नीतियों के कारण गन्ना किसानों को अपनी मेहनत व लागत नहीं मिल पा रही है। वर्तमान पेराई सत्र में गन्ना किसानों को 450 प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिये। गन्ना किसानों की अनदेखी के चलते उनकी आर्थिक दशा निरन्तर दयनीय होती जा रही है, जिसकी तरफ ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता है। कांग्रेस गन्ना किसानों को 450 प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य देने व बकाया लगभग 14 हजार करोड़ रुपये के तत्काल भुगतान की मांग करती है।
अजय लल्लू ने कहा कि सरकार की विरोधाभासी व किसान विरोधी नीतियों के कारण गन्ना किसानों को अपनी मेहनत व लागत नहीं मिल पा रही है। वर्तमान पेराई सत्र में गन्ना किसानों को 450 प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिये। गन्ना किसानों की अनदेखी के चलते उनकी आर्थिक दशा निरन्तर दयनीय होती जा रही है, जिसकी तरफ ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता है। कांग्रेस गन्ना किसानों को 450 प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य देने व बकाया लगभग 14 हजार करोड़ रुपये के तत्काल भुगतान की मांग करती है।
…तो किसानों के मुद्दे पर संघर्ष करेगी कांग्रेस
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने जारी बयान में कहा कि कोरोना काल की आर्थिक मुश्किलें और खराब मौसम ओलावृष्टि के चलते पहले से ही गन्ना किसानों की कमर टूट चुकी है, ऐसे में भुगतान न होने से गन्ना किसान लगभग भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है, वह बच्चों की पढ़ाई के खर्च सहित बहन बेटियों के हाथ पीले करने व रोजमर्रा के घरेलू खर्च के लिये साहूकारों के कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है। गन्ना किसान भुखमरी के कगार पर है उसे अपनी मेहनत व लागत भी नहीं मिल पा रही है। दूसरी तरफ वह सरकार की उपेक्षा के कारण अत्यंत कष्ट के दौर से गुजर रहा है। सरकार गन्ना किसानों की समस्यायों के तत्काल निवारण की ओर कदम उठाए अन्यथा कांग्रेस गन्ना किसानों के हित को देखते हुए सड़क से सदन तक संघर्ष करने को विवश होगी।
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने जारी बयान में कहा कि कोरोना काल की आर्थिक मुश्किलें और खराब मौसम ओलावृष्टि के चलते पहले से ही गन्ना किसानों की कमर टूट चुकी है, ऐसे में भुगतान न होने से गन्ना किसान लगभग भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है, वह बच्चों की पढ़ाई के खर्च सहित बहन बेटियों के हाथ पीले करने व रोजमर्रा के घरेलू खर्च के लिये साहूकारों के कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है। गन्ना किसान भुखमरी के कगार पर है उसे अपनी मेहनत व लागत भी नहीं मिल पा रही है। दूसरी तरफ वह सरकार की उपेक्षा के कारण अत्यंत कष्ट के दौर से गुजर रहा है। सरकार गन्ना किसानों की समस्यायों के तत्काल निवारण की ओर कदम उठाए अन्यथा कांग्रेस गन्ना किसानों के हित को देखते हुए सड़क से सदन तक संघर्ष करने को विवश होगी।
450 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बिके गन्ना
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार से आग्रह किया कि नए पेराई सत्र में गन्ना किसानों को 450 रुपए क्विंटल की दर से गन्ने का भुगतान करे। जारी बयान में उन्होंने कहा कि वर्तमान में खेती की लागत में लगातार वृद्धि हुई है। खाद, उर्वरक, बिजली, सिंचाई की लागत बढ़ने से गन्ना किसान को लगातार घाटा हो रहा है। पुराने रेट से गन्ना किसानों की खेती को लगातार नुकसान हो रहा, गन्ना किसान और उनका परिवार ऐसे में आर्थिक रूप से टूट गया है और भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है।
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार से आग्रह किया कि नए पेराई सत्र में गन्ना किसानों को 450 रुपए क्विंटल की दर से गन्ने का भुगतान करे। जारी बयान में उन्होंने कहा कि वर्तमान में खेती की लागत में लगातार वृद्धि हुई है। खाद, उर्वरक, बिजली, सिंचाई की लागत बढ़ने से गन्ना किसान को लगातार घाटा हो रहा है। पुराने रेट से गन्ना किसानों की खेती को लगातार नुकसान हो रहा, गन्ना किसान और उनका परिवार ऐसे में आर्थिक रूप से टूट गया है और भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है।
गन्ने के शीरे का हो रहा व्यापारिक इस्तेमाल
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आगे कहा कि आज गन्ने से उत्पन्न शीरा से सरकार एथनाल बना रही है, जिसका वाणिज्यिक इस्तेमाल होता है। इसी एथनॉल से आजकल सेनेटाइजर भी बनाया जा रहा है जो बड़ी कीमत पर बाजार में बिक रहा है। ऐसे में गन्ना किसानों को भी गन्ने के बाईप्रोडक्ट्स से होने वाले लाभ के अनुपात में ही उसकी फसल का मूल्य मिलना चाहिए। 450 रुपए प्रति क्विंटल दाम कहीं से भी अतार्किक नहीं है, योगी सरकार को फैंसला लेकर गन्ने के नए मूल्य की घोषणा करनी चाहिए ताकि गन्ना किसानों को राहत मिल सके।
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आगे कहा कि आज गन्ने से उत्पन्न शीरा से सरकार एथनाल बना रही है, जिसका वाणिज्यिक इस्तेमाल होता है। इसी एथनॉल से आजकल सेनेटाइजर भी बनाया जा रहा है जो बड़ी कीमत पर बाजार में बिक रहा है। ऐसे में गन्ना किसानों को भी गन्ने के बाईप्रोडक्ट्स से होने वाले लाभ के अनुपात में ही उसकी फसल का मूल्य मिलना चाहिए। 450 रुपए प्रति क्विंटल दाम कहीं से भी अतार्किक नहीं है, योगी सरकार को फैंसला लेकर गन्ने के नए मूल्य की घोषणा करनी चाहिए ताकि गन्ना किसानों को राहत मिल सके।