इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार और पार्टी के कद्दावर नेता प्रफुल्ल पटेल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से अहमदाबाद में मुलाकात की है। होली के ठीक एक दिन पहले हुई इस मुलाकात के बाद महाराष्ट्र में किसी बड़े सियासी उलटफेर की संभावनाएं तेज हो गई है। राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि आने वाले कुछ समय में महाराष्ट्र में बहुत बड़ा सियासी फेरबदल हो सकता है।
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एंटीलिया केस सामने आने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया है। वहीं महाराष्ट्र की शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार को लेकर अटकलें तेज हो गई है। भाजपा अनिल देशमुख के इस्तीफे की मांग लगातार कर रही है तो वहीं, महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग भी की जा रही है। ऐसे में उद्धव सरकार बेकफुट पर नजर आ रही है। इस बीच अमित शाह और शरद पवार के बीच मुलाकात ने कई सियासी सवालों को जन्म दे दिया है।
बता दें कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो बरामद होने के बाद से महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आ गया है। जांच में कई अहम बड़े खुलासे हुए हैं। इन खुलासों में सबसे गंभीर है गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये हर महीने उगाही करने के आदेश देने का आरोप। अनिल देशमुख पर आरोप है कि एंटीलिया केस में मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर सामने आए निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को उन्होंने हर महीने 100 करोड़ रुपये उगाही करने का लक्ष्य दिया था। सबसे बड़ी बात कि यह आरोप मुंबई के पूर्व कमीश्नर परमबीर सिंह ने लगाए हैं। फिलहाल इस पूरे मामले की जांच एनआईए कर रही है।
शाह-पवार के अचानक मुलाकात से चढ़ा सियासी पारा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शरद पवार एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए राजस्थान के जयपुर गए थे। वहां से लौटते हुए अचानक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के लिए अहमदाबाद पहुंच गए। बताया जा रहा है कि दोनों की मुलाकात एक नामी उद्योगपति के रिहायशी इलाके में हुई है। इस गुप्त मीटिंग में प्रफ्फुल पटेल के भी शामिल होने से ये माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर चर्चाएं हुई है।
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अचानक हुई इस मुलाकात और केंद्रीय जांच एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई महाराष्ट्र की राजनीति में किसी बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहा है। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात को जाहिर नहीं किया गया है और न ही कोई पुष्टि की गई है। लेकिन दोनों दिग्गज नेताओं की मुलाकात के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
बता दें कि अनिल देशमुख के आरोपों में घिरने के बाद से एनसीपी उनके बचाव में उतर आई है, चूंकि अनिल देशमुख एनसीपी के नेता हैं और गठबंधन सरकार में गृह मंत्रालय एनसीपी को दिया गया है। लेकिन शिवसेना और कांग्रेस के लिए गले की फांस बन गई है।