मोहल्ला क्लास और बांसुरी वादन
बांसुरी वाले गुरुजी के नाम से पुकारे जाने वाले शिक्षक महेन्द्र सिंह ठाकुर कटनी जिले की माध्यमिक शाला गौरा में टीचर हैं। शिक्षक महेन्द्र बताते हैं कोरोना संक्रमण का असर बच्चों की पढ़ाई के साथ साथ शिक्षकों की दिनचर्या पर भी पड़ा है। मोहल्ला क्लास और घर पर बच्चों को पढ़ाने के बाद अब शिक्षक भी कुछ न कुछ नया करने के प्रयासों में जुट गए हैं। महेन्द्र ने बताया कि वो बच्चों को पढ़ाने के बाद स्कूल में आकर खाली समय मिलने पर बांसुरी बजाते हैं। कई बार बच्चों की डिमांड पर भी उन्हें बांसुरी बजानी पड़ती है। उनका ये भी कहना है कि पहले जब कक्षाएं लगती थीं तो वो बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार संगीत की शिक्षा देने की कोशिश भी करते थे।
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बांसुरी से बची थीं टूट रहीं सांसें
बांसुरी से शिक्षक महेन्द्र के लगाव के पीछे भी एक अजीब कहानी है। वो बताते हैं कि एक बार उनका एक्सीडेंट हो गया था और तब जब उनकी सांसें उखड़ रही थीं तो बैग में रखी बांसुरी पर हाथ पड़ने के बाद उनकी उम्मीद जागी और जिंदगी बच गई। तब से वो मानते हैं कि बांसुरी ने ही उनकी जिंदगी बचाई है और हमेशा बांसुरी को अपने पास रखते हैं जब भी वक्त मिलता है तो बांसुरी बजाकर साधना में लीन हो जाते हैं।