मल्हनी में जीता लकी का लक, बाजीगर साबित हुए धनंजय सिंह, भाजपा के वोटों में लगाई सेंध

2017 विधानसभा चुनाव के मुकाबले उपचुनाव में मजबूत हुए धनंजय

भाजपा के लिये साबित हुए नुकसानदेह, तीसरे नंबर पर धकेला

जावेद अहमद

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

जौनपुर. मल्हनी उपचुनाव का नतीजा आ चुका है। इसमें पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव का लक सिर चढ़ कर बोला। वहीं वोटों के बाजीगर धनंजय सिंह हार कर भी जीत गए। 2017 में हुए चुनाव के मुकाबले उन्हें करीब बीस हजार वोट ज्यादा मिले। और यही वजह है कि धनंजय सिंह ने हारने के तुरंत बाद बयान जारी कर 2022 जीत का दावा कर दिया। हालांकि इस चुनाव में धनंजय सिंह ने भाजपा का खेल बिगाड़ते हुए उसे तीसरे नंबर पर धकेल दिया। भाजपा को यहां जबर्दस्त नुकसान हुआ। बसपा चौथे नंबर पर पहुंची तो कांग्रेस को जनता ने पूरी तरह से नकार दिया।

 

पारसनाथ यादव के निधन के बाद मल्हनी में उपचुनाव की घोषणा हुई। भाजपा प्रत्याशी के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ दो बार जौनपुर आए। दोनों उपमुख्यमंत्री भी प्रत्याशी के पक्ष में फिजा बनाने के लिए मल्हनी क्षेत्र में जनता के बीच पहुंचे। कई मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने भी हुंकार भरते हुए जीत का दंभ भरा। भाजपा प्रत्याशी ने दिन रात क्षेत्र में रह कर जनता से वोट की अपील की। ये भी वादा किया कि अगर वे जीते तो मल्हनी का वो सब मिलेगा जो आज तक कोई सरकार नहीं दे सकी।

 


अपने पुराने गढ़ रारी में जन-जन के बीच धनंजय सिंह भी निर्दल उम्मीदवार के तौर पर पहुंचने लगे। जनता भी उन्हें हाथों हाथ ले रही थी। ऐसी चर्चाएं होने लगीं कि यहां धनंजय सिंह के अलावा किसी और की दाल नहीं गलने वाली। वोटों के लिए धनंजय सिंह के तेवर 2017 के चुनाव से भी ज्यादा आक्रामक थे। खुद धनंजय और उनके समर्थक जमीन पर उतरकर पगडंडियां नापने लगे। समर्थक जमीन पर उतर कर लोगों के बीच उनकी पैठ और गहरी करते नजर आए।


वहीं इन सबसे अलग बाबू जी (पारसनाथ यादव) की विरासत थामने के लिए बेकरार लकी यादव सपा की साइकिल पर सवार चुनाव प्रचार में लग गए। उनके पास चुनाव का सिर्फ एक मुद्दा था कि बाबू जी की तरह उन्हें भी जनता आशीर्वाद दे। अगर वे चुनाव जीते तो पारसनाथ यादव के जो काम अधूरे थे वो पूरे कर दिए जाएंगे।


जातीय आंकड़े ने पलटी बाजी

मल्हनी उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को मतदान हुआ। शुरू से भाजपा, सपा और धनंजय सिंह के बीच लगने वाला त्रिकोणीय मुकाबला मतदान के दिन धनंजय सिंह बनाम लकी यादव में बदल गया। हर बूथ पर इन्हीं दोनों के वोटर नजर आते। शाम तक 59 प्रतिशत वोटिंग के बाद प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। मतगणना के दिन सबसे पहले धनंजय सिंह के गढ़ वाले क्षेत्र के ईवीएम खुले। इसमें धनंजय सिंह ने शुरू से ही लकी यादव को पछाड़ते हुए लीड ले ली। 12 राउंड तक धनंजय सिंह बढ़त बनाए हुए थे, लेकिन जैसे-जैसे यादव बहुल्य क्षेत्र के ईवीएम खुलते गए लकी यादव ने जीत की तरफ कदम बढ़ाने शुरू कर दिए। 28वें राउंउ के बाद उन्हें विजयी घोषित करते हुए प्रमाण पत्र दे दिया गया।


धनंजय सिंह ने बिगाड़ा भाजपा का खेल

निर्दल उम्मीदवार के तौर पर 68 हजार 730 वोट पाने वाले धनंजय सिंह ही हैं जिन्होंने भाजपा को जीत से काफी दूर रखा। चुनाव प्रचार के दौरान धनंजय सिंह ने भाजपा और बसपा के वोट में जमकर सेंध लगाई। कहा तो ये भी जा रहा है कि ये दोनों पार्टियां ठीक से चुनाव लड़ ही नहीं पाईं। धनंजय की धाक के आगे इनकी एक न चली। यही वजह रही कि पूरे प्रदेश में चल रहे सातों उपचुनाव में भाजपा को यहां हार का मुंह देखना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी मनोज सिंह दूसरे नंबर पर रहे धनंजय सिंह से भी करीब 40 हजार वोट पीछे 288033 वोटों तक ही पहुंच पाए।


हार कर भी जीता वोटों का बाजीगर

हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं, ये डायलाग धनंजय सिंह पर सटीक बैठता है। धनंजय सिंह भले ही इस चुनाव में हार गए हों, लेकिन इस बार जनता ने उनका भरपूर साथ दिया। पिछली बार महज 48 हजार वोट पाने वाले धनंजय सिंह इस बार 69 हजार वोटों के करीब पहुंच गए। हालांकि धनंजय सिंह का ये भी आरोप रहा है कि प्रशासन ने उनके वोटरों को प्रताड़ित किया। उनके बहुत से समर्थकों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए। इसकी संख्या करीब 10 हजार है। हालांकि उपचुनाव में बढ़िया प्रदर्शन और कम मार्जिन से हार के बाद धनंजय सिंह ने अभी से आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत का दावा करना शुरू कर दिया है।

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