कोरोनावायरस को लेकर केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं को किया अलर्ट, कहा- कर लें पूरी तैयारी #Coronavirus #India वर्ष 2004 और 2014 के बीच दो बार पीएम रहे मनमोहन सिंह ने लिखा, “मैं बहुत भारी मन के साथ यह लिख रहा हूं… मुझे काफी चिंता है कि जोखिमों का यह ताकतवर मेल न केवल भारत की आत्मा को तोड़ सकता है, बल्कि दुनिया में एक आर्थिक और लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में हमारी वैश्विक स्थिति को कमजोर कर सकता है।”
उकसाई गई दिल्ली हिंसा पिछले हफ्ते दिल्ली के कुछ हिस्सों में हिंसा का जिक्र करते हुए डॉ. सिंह कहते हैं कि “राजनीतिक वर्ग सहित हमारे समाज के उपद्रवी वर्गों” द्वारा सांप्रदायिक तनावों को उकसाया गया और धार्मिक असहिष्णुता की लपटों को हवा दी गई। कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वालों ने नागरिकों की रक्षा के अपने धर्म को छोड़ दिया जबकि न्यायिक संस्थानों और मीडिया ने भी हमें “विफल” कर दिया।
कोरोनावायरस को लेकर सामने आई सबसे बड़ी जानकारी, साबुन-हैंड सैनेटाइजर के इस्तेमाल पर खुलासा #Coronavirus #COVID19 पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री लिखते हैं, “सामाजिक तनाव की आग बेरोक तेजी से पूरे देश में फैल रही है और हमारे राष्ट्र की आत्मा को खतरे में डाल रही है। इसे केवल वही लोग बुझा सकते हैं, जिन्होंने इसे जलाया था।”
पिछड़ गया देश उन्होंने आगे लिखा, “आर्थिक उदासीनता में परेशानी भरे प्रमुख राज्य के उदार लोकतांत्रित तरीकों के जरिये बस कुछ ही वर्षों में भारत आर्थिक विकास के एक मॉडल के रूप वैश्विक प्रदर्शन करने से तेजी से फिसल गया है।”
मजबूत अर्थव्यवस्था के वक्त में, ऐसी सामाजिक अशांति का प्रभाव केवल मंदी को बढ़ावा देगा, लिखते हुए उन्होंने बताया, “सामाजिक समरसता, आर्थिक विकास की आधारशिला अब संकट में है। जब किसी के पड़ोस में अचानक हिंसा भड़कने का खतरा बढ़ जाता है, तब कैसे भी टैक्स की दरों में बदलाव या कॉरपोरेट प्रोत्साहन की बौछार से भारतीय या विदेशी व्यवसायों को निवेश करने के लिए प्रेरित नहीं किया जा सकता।”
क्या हैं उपाय पूर्व पीएम सरकार के लिए एक तीन-सूत्रीय योजना बताते हैं, “सबसे पहले COVID-19 के खतरे से निपटने के लिए सारी ऊर्जा और प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और पर्याप्त रूप से तैयार होना चाहिए। दूसरा, नागरिकता अधिनियम को वापस लेना या संशोधित करना चाहिए, ताकि जहरीली सामाजिक आबोहवा खत्म हो और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिले। तीसरा, खपत की मांग को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए एक विस्तृत और सावधानीपूर्वक राजकोषीय प्रोत्साहन योजना को जोड़ा जाना चाहिए।”
कोरोनावायरस के चलते आज संसद ने ले लिया बड़ा फैसला, 11 तारीख से प्रवेश पर पाबंदी लगाने की घोषणा #Coronavirus डराना मकसद नहीं डॉ. सिंह लिखते हैं कि उनकी इच्छा किसी गंभीर संकट की भविष्यवाणी करने या डर को बढ़ाकर पेश करने की नहीं है। वह लिखते हैं, “सच्चाई यह है कि मौजूदा हालात बहुत विकट और गंभीर हैं। जिस भारत को हम जानते हैं और संजो रहे हैं, वह तेजी से पिछड़ रहा है। जानबूझकर भड़काए गए सांप्रदायिक तनाव, घोर आर्थिक कुप्रबंधन और स्वास्थ्य पर बाहरी खतरे से भारत की प्रगति और मजबूती के लडखड़ाने का खतरा पैदा हो रहा है।”