पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि जेईई-नीट 2020 जैसी प्रवेश परीक्षा तब तक आयोजित नहीं की जानी चाहिए जब तक हालात फिर से सामान्य नहीं हो जाते। उन्होंने कहा कि अगर परीक्षाएं निर्धारित समय पर कराई गईं, तो इससे छात्रों को कोरोना वायरस महामारी की चपेट में आने का खतरा होगा।
ममता बनर्जी ने इस संबंध में एक ट्वीट कर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साथ हमारी पिछली वीडियो कॉन्फ्रेंस में मैंने सितंबर 2020 के अंत तक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में टर्मिनल परीक्षाओं को पूरा कराने के यूजीसी दिशानिर्देशों के खिलाफ आवाज उठाई थी। इससे छात्रों के जीवन में खतरा मंडराने की आशंका थी।”
गौरतलब है कि नीट परीक्षा 13 सितंबर को और जेईई-मेन्स परीक्षा 1 से 6 सितंबर तक आयोजित की जानी हैं। ममता ने कहा, “अब शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर सितंबर में नीट-जेईई 2020 परीक्षाएं आयोजित किए जाने को लेकर मैं फिर से केंद्र सरकार से अपील करूंगी कि वे इसके जोखिम का आकलन करने के साथ ही इन परीक्षाओं को तब तक के लिए स्थगित कर दें, जब तक कि स्थिति फिर से ठीक न हो जाए।”
वहीं, डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखे एक पत्र में कहा कि देश अभी कोरोना वायरस के कहर से उबर भी नहीं पाया था कि देश के तमाम हिस्सों में हाल ही आई बाढ़ से लोगों की रोटी-रोटी छिन गई। छात्रों और अभिभावकों में भारी मानसिक तनाव है। सार्वजनिक परिवहन पर लगे मौजूदा प्रतिबंधों को देखते हुए सभी उम्मीदवारों को आवंटित किए गए परीक्षा केंद्र तक पहुंच समान रूप से सुलभ नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब तबके के छात्रों के लिए परीक्षा केंद्रों तक पहुंच पाना संभव नहीं होगा। इस फैसले से वे अपने समृद्ध प्रतिद्वंदियों की तुलना में काफी नुकसान में रहेंगे।
इसके अलावा महाराष्ट्र के पर्यटन एवं पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्विटर पर लिखा, “मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विभिन्न प्रस्तावित प्रवेश परीक्षाओं और अन्य पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं से छात्रों और उनके परिवार को होने वाले स्वास्थ्य जोखिम को लेकर निजी हस्तक्षेप के लिए लिखा है।”
उन्होंने आगे लिखा, “श्रीमान यह कोई व्यवहारिक और संगतपूर्ण विकल्प नहीं है क्योंकि ज्यादातर प्रदेशों में कोरोना वायरस केस बढ़ते जा रहे हैं, इनमें कई स्थानों पर रेड जोंस है और कई स्थानों पर परिवहन अभी भी शुरू होना है। दुनियाभर में जहां कहीं भी स्कूल-कॉलेज वापस खोले गए हैं, वहां पर कोरोना वायरस के नए मामलों की काफी ज्यादा संख्या सामने आई है। हमारे देश में ज्यादातर छात्र अपने माता-पिता और दादा-दादी के साथ रहते हैं और यह संक्रमण अगर हो गया तो जानलेवा हो सकता है।”