आर्थिक संकट में फंसे कंपनियों को राहत इससे पहले राज्यसभा में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी संशोधन विधेयक 2020 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जून के पहले सप्ताह में ही इसे लेकर एक अध्यादेश जारी किया गया था। इसका मकसद कोरोना महामारी काल में लॉकडाउन की वजह से कारोबारियों हुए नुकसान से राहत देने के लिए जरूरी कानून प्रावधन तय करना था।
Fasal Beema की राशि को लेकर गरमाई राजनीति, कांग्रेस ने दी शिवराज सरकार को आंदोलन की चेतावनी आईबीसी कोड के सेक्शन 7, 9 और 10 सस्पेंड उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ और आने वाले समय में अभी और नुकसान की आशंका है। यही वजह है कि मंदी के इस दौर में कंपनियों के काम करने के तरीके में आने वाले बाधा को भी ध्यान में रखना जरूरी है। सरकारी सहायता न मिलने से कंपनियों पर दिवालिया होने का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि आईबीसी कोड के सेक्शन 7, 9 और 10 को सस्पेंड करना के लिए यह विधेयक पेश किया गया है।
बता दें कि जून, 2020 में केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश (Ordinance) के जरिए इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों में बदलाव किया था। इस संसोधन के बाद कोविद-19 महामारी की वजह से जिन कंपनियों ने डिफॉल्ट किया है उन्हें उनके लेंडर्स संशोधन होने के बाद कोर्ट घसीटने वाला प्रावधान हटा दिया गया। ताकि जो बैंक का कर्ज चुकाने में असमर्थ कंपनियों को कानूनी कार्रवाई से राहत मिल सके।
Jammu-Kashmir : एलजी मनोज सिन्हा का बडा ऐलान, अब बिजली-पानी का आधा बिल माफ आईबीसी क्या है? इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कर्ज न चुकाने वाले बकाएदारों से निर्धारित समय के अंदर कर्ज वापसी के प्रयास किए जाते हैं। ऐसा करने से बैंकों की आर्थिक स्थिति में भी आंशिक सुधार हुआ है। इसके मुताबिक 25 मार्च, 2020 के बाद से अगले 6 महीने या 1 साल तक किसी भी कंपनी के खिलाफ CIRP का आवेदन नहीं किया जा सकता यानी उन्हें IBC में लेकर नहीं जाया जा सकता। सरकार ने इस प्रक्रिया पर अभी इसलिए रोक लगाई है क्योंकि कोरोना और लॉकडाउन की वजह से डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों पर सेक्शन 10A 25 मार्च से अगले छह महीने या 1 साल तक लागू न हो।