Must Read: नई मोदी कैबिनेट में देखने को मिले 5 बड़े सरप्राइज, हर कोई रह गया हैरान नए मंत्रिमंडल के गठन में अनुभव और योग्यता के आधार पर मौका दिया गया और इसमें चार पूर्व मुख्यमंत्री, 18 पूर्व राज्य मंत्री, 39 पूर्व विधायक और 23 ऐसे सांसद शामिल हैं, जिन्हें तीन या तीन से ज्यादा बार कार्यकाल के लिए चुना जा चुका है।
यह नया फेरबदल नई कैबिनेट में तजुर्बे की मजबूती को प्रदर्शित करता है। इसके पीछे की प्रमुख वजह मोदी सरकार की वो आलोचनाएं हैं, जिनमें मंत्रिमंडल के भीतर बेंच स्ट्रेंथ की कमी के साथ ही पर्याप्त प्रशासनिक अनुभव ना होने बताया गया था।
अगर बात करें नए मंत्रिमंडल में शामिल लोगों के पेशे की तो इसमें 13 वकील, छह डॉक्टर, पांच इंजीनियर, सात पूर्व सिविल सेवक और केंद्र सरकार में अनुभव वाले 43 मंत्रियों सहित विशिष्ट योग्यताओं का एक उदार मिश्रण है। जबकि शिक्षा की बात करें तो इनमें 7 पीएचडी किए हुए और 3 एमबीए डिग्रीधारी भी हैं।
Must Read: मोदी कैबिनेट में शामिल किए गए बंगाल के चार नेता, विधानसभा चुनाव में भारी सीटों का मिला इनाम मंत्रिमंडल में युवाओं की प्रमुख भूमिका दिखाने के लिए युवा नेतृत्व को शामिल किया गया है। इस मंत्रिमंडल की औसत आयु 58 वर्ष है। जबकि 14 मंत्रियों की उम्र 50 वर्ष से कम है और इनमें भी 6 केंद्रीय मंत्री हैं।
महिलाओं की भागीदारी को लीडरशिप में शामिल करने के लिए कुल 11 महिलाओं को मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया गया है और इनमें भी दो कैबिनेट रैंक वाली हैं। अगर बात करें हर समुदाय और तबके के नेतृत्व की तो समावेश के लिए नए मंत्रिमंडल में देश के 25 राज्यों के 43 मंत्रियों को शामिल किया गया है। इनमें पांच मंत्री अल्पसंख्यक हैं। इनमें एक मुस्लिम, एक सिख, दो बौद्ध और एक ईसाई शामिल हैं। इसके अलावा, 27 ओबीसी मंत्रियों के साथ एक मजबूत ओबीसी प्रतिनिधित्व है, जिसमें पांच कैबिनेट रैंक के मंत्री शामिल हैं।
इसके अलावा आठ एसटी मंत्री हैं, जिनमें तीन कैबिनेट रैंक के साथ हैं, जबकि 12 एससी मंत्री हैं, जिनमें कैबिनेट रैंक के साथ दो मंत्रियों का नाम शामिल है। बता दें कि नए चेहरों को शामिल करने से पहले 11 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।