Congress में चिट्ठी के बाद मचे बवाल पर Shashi Tharoor ने तोड़ी चुप्पी, जानें पार्टी के अंदरुनी विवाद को लेकर क्या कहा

Congress MP Shashi Tharoor ने 23 नेताओं के चिट्ठी को लेकर उठे विवाद पर दिया बयान
थरूर ने कहा- जब कांग्रेस अध्यक्ष ने कह दिया है कि ये अब मुद्दा नहीं है तो सबको मिलकर काम करना चाहिए
शशि थरूर ने इस मुद्दे पर चार दिन बाद अपनी चुप्पी तोड़ी

<p>कांग्रेस सांसद शशि थरूर</p>
नई दिल्ली। कांग्रेस ( Congress ) भले ही NEET-JEE एग्जाम और जीएसटी ( GST ) जैसे मुद्दों को लेकर विपक्षी पार्टियों के बहाने एक जुट होने की कोशिश में जुटी है, लेकिन सच तो यह है कि अब भी पार्टी से चिट्ठी को लेकर उठने वाला विवाद थमा नहीं है। कांग्रेस में चल रही अंदरुनी कहल के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ( Shashi Tharoor ) का बड़ा बयान सामने आया है।
थरूर ने कहा है कि एकजुट होकर पार्टी के हित में कार्य करना सभी का कर्तव्य है। आपको बता दें कि कांग्रेस संगठन में शीर्ष से लेकर नीचले स्तर तक बदलाव की मांग सोनिया गांधी से करने वाले 23 नेताओं में शशि थरूर भी शामिल थे। हालांकि जब से इस पत्र पर बवाल मचा है तब से शशि थरूर खामोश थे। लेकिन करीब चार दिन बाद उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी है।
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कांग्रेस में चिट्ठी विवाद को लेकर मचे घमासान के बीच आखिरकार शशि थरूर ने भी अपनी चुप्पी तोड़ ही दी। शुक्रवार को शशि थरूर ने ट्वीट के जरिए कहा है कि – मैं कांग्रेस में हाल की घटनाओं पर चार दिनों से चुप था क्योंकि जब एक बार कांग्रेस अध्यक्ष ने कह दिया कि यह अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है, तो हम सभी का कर्तव्य है कि हम साथ मिल कर पार्टी के हित में काम करें।
उन्होंने ये भी कहा है कि – मैं अपने सभी साथियों से इस सिद्धांत को बरकरार रखने और बहस को खत्म करने की अपील करता हूं।

आपको बता दें कि हाल में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, जतिन प्रसाद, शशि थरूर समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में शीर्ष नेतृत्व से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग की थी। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में इस मुद्दे ने बवाल मचा दिया। चिट्टी की टाइमिंग को लेकर राहुल गांधी ने सवाल खड़े कर दिए तो आजाद और सिब्बल ने बागी तेवर अख्तियार कर लिए थे। हालांकि बात प्रवक्त रणदीप सुरजेवाला ने बीच बचाव करते हुए आपस में लड़ने की बचाय मोदी सरकार से लड़ने की बात कहकर मामले को शांत करने की कोशिश की।
इसके बाद मामला थोड़ा नरम जरूर पड़ा, लेकिन बवाल खत्म नहीं हुआ है। कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद समेत कुछ नेता अब भी इस मसले को लेकर हवा दे रहे हैं।
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