साल के शुरुआती महीने में ही बीजेपी बंगाल में कई कार्यक्रमों के जरिए अपनी चुनावी जमीन मजबूत करने में जुट गई है। इन कार्यक्रमों के जरिए बीजेपी ने सिर्फ ममता सरकार को घेर रही है बल्कि अपने वोट बैंक को भी बंटोरना का प्रयास करेगी।
भारत के खिलाफ बड़ी साजिश रच रहा है चीन, इस तरह भारतीय नौसेना की हर हरकत पर रखी जा रही है नजर, अमरीकी रक्षा विश्लेषक का बड़ा खुलासा बंगाल फतह करने का मिशन लेकर निकली बीजेपी साल की शुरुआत से ही अपने इरादों को और मजबूती देने का काम शुरू कर दिया है। यही वजह है कि योजना के तहत बीजेपी ममता सरकार को घेरने में जुट गई है।
जनवरी में बीजेपी दो प्रमुख दिवसों विवेकानंद जयंती और सुभाष चंद्र बोस जयंती के जरिए जनता के बीच जाएगी। इस दौरान कई बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसके जरिए वह बंगाल को राष्ट्रीय जागरण और उसकी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय भूमिका से जोड़कर अपनी पैठ और मजबूत करने की बीजेपी पूरी कोशिश करेगी।
इन दिनों में होंगे कई कार्यक्रम
बीजेपी ने इस महीने में 12 जनवरी को विवेकानंद जयंती और 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस जयंती पर राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रम करने की तैयारी की है।
बीजेपी ने इस महीने में 12 जनवरी को विवेकानंद जयंती और 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस जयंती पर राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रम करने की तैयारी की है।
ये है रणनीति
दरअसल विवेकानंद और सुभाष चंद्र बोस दोनों ही हस्तियों की ख्याति राष्ट्र के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रही है। ऐसे में बीजेपी की रणनीति बंगाल को स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ले जाने की रहेगी। इससे वो विदेशों में बैठे बंगालियों के सहारे भी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश करेगी।
दरअसल विवेकानंद और सुभाष चंद्र बोस दोनों ही हस्तियों की ख्याति राष्ट्र के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रही है। ऐसे में बीजेपी की रणनीति बंगाल को स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ले जाने की रहेगी। इससे वो विदेशों में बैठे बंगालियों के सहारे भी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश करेगी।
टीएमसी का क्षेत्र पर फोकस
ममता के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस क्षेत्रीय अस्मिता और बंगाल की धरोहर को लेकर आगे बढ़ रही है। टीएमसी स्थानीय मुद्दों को लेकर अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस की क्षेत्रीय राजनीति की भूमिका को सीमित करने में बीजेपी की अंतरराष्ट्रीय रणनीति कारगर साबित हुई तो ममता की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
ममता के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस क्षेत्रीय अस्मिता और बंगाल की धरोहर को लेकर आगे बढ़ रही है। टीएमसी स्थानीय मुद्दों को लेकर अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस की क्षेत्रीय राजनीति की भूमिका को सीमित करने में बीजेपी की अंतरराष्ट्रीय रणनीति कारगर साबित हुई तो ममता की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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बीते वर्ष दिसंबर का महीना बंगाल की राजनीति में काफी उथल पुथल वाला रहा। बीजेपी नेताओं पर जहां हमले हुए तो वहीं टीएमसी दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी समेत कई विधायकों ने पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया। नड्डा और शाह ने लगातार दो दिन के दौरे किए और पार्टी नेताओं के साथ अहम बैठकें कीं।
बीते वर्ष दिसंबर का महीना बंगाल की राजनीति में काफी उथल पुथल वाला रहा। बीजेपी नेताओं पर जहां हमले हुए तो वहीं टीएमसी दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी समेत कई विधायकों ने पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया। नड्डा और शाह ने लगातार दो दिन के दौरे किए और पार्टी नेताओं के साथ अहम बैठकें कीं।