बीजेपी को लगा सबसे बड़ा झटका, CAA की वजह से 100 मुस्लिम नेताओं ने छोड़ी पार्टी चुनाव परिणाम 23 दिसंबर को घोषित किए गए थे, लेकिन भाजपा अपने नेता का चुनाव करने के लिए विधायकों की बैठक तक नहीं बुला पाई है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास को खुद जमशेदपुर पूर्व क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा, जहां से वह 18,000 से अधिक वोटों से दिग्गज नेता सरयू राय से हार गए।
रघुबर दास राज्य के ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री रहे, जो पद पर होने के बावजूद चुनाव हार गए। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन 2009 में तमार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए थे, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था।
अगर रघुबर दास चुनाव जीत गए होते, तो वह भाजपा विधायक दल के नेता के लिए स्वाभाविक पसंद हो सकते थे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि 81 सदस्यीय सदन में उसका नेता कौन होगा। भाजपा विधायक दल का नेता स्वाभाविक रूप से विपक्ष का नेता भी होगा। भाजपा झारखंड में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और विपक्षी दलों में भी वह सबसे बड़ा दल है।
भाजपा ने राज्य की 25 सीटें जीतीं और 32 फीसदी वोट हासिल करने में सफल रही। भाजपा के एक सूत्र ने कहा, “केंद्रीय नेताओं को विधायक दल के नेता के बारे में फैसला करना होगा। ऐसा लगता है कि उन्हें यह स्पष्ट नहीं है कि इसके लिए कोई आदिवासी चेहरा होना चाहिए या गैर-आदिवासी। भाजपा का बड़ा आदिवासी चेहरा नीलकंठ सिंह मुंडा हैं। वहीं गैर-आदिवासी नेताओं की कोई कमी नहीं है, जिनमें सी. पी. सिंह भी शामिल हैं।”
सिंह और मुंडा दोनों रघुबर दास सरकार में मंत्री थे। सिंह 1995 से रांची विधानसभा सीट से जीतते रहे हैं, जबकि मुंडा चार बार विधायक और तीन बार मंत्री रहे हैं। भाजपा दुविधा में है, क्योंकि विधायक दल का नेता ही 2024 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का चेहरा बनेगा। केंद्रीय नेता मुंडा या सिंह को पद देने के पक्ष में नहीं हैं।
राज्य भाजपा के महासचिव दीपक प्रकाश ने आईएएनएस को बताया, “विधायक दल के नेता का चुनाव जल्द होगा। पार्टी सही समय पर फैसला लेगी।”