जोरहाट के चाय बागान श्रमिकों के अनुसार उन्हें मजदूरी कम मिल रही है। ऐसे में वे महंगा रसोई गैस सिलिंडर नहीं खरीद पा रहे हैं। उनका कहना है कि वे बीते करीब एक वर्ष से एलपीजी सिलिंडर का उपयोग नहीं कर पाए हैं। ऐसे में लकड़ी जलाकर खाना पकाने लगे हैं। अब तो सबसिडी भी नहीं मिल रही है।
बड़े-बड़े वादे करते हैं दल चाय बागान में काम कर रहीं महिला श्रमिकों के अनुसार राजनीतिक दल बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन उन्हें पूरा नहीं करते। उनका कहना है कि रसोई गैस के दाम कम करने की जरूरत है। नहीं तो हमारी मजदूरी ही बढ़ा दीजिए। जो भी पार्टी सत्ता में आए वह हमारी मजदूरी को बढ़ाना चाहिए। इससे हमें भरण-पोषण में मदद मिलेगी।