बिहार के बाद अब बंगाल की बारी, क्या नीतीश के बाद ममता के गढ़ में सेंध लगा पाएंगे ओवैसी?

पश्चिम बंगाल में सियासी जमीन तलाशने में जुटी AIMIM
22 जिलों में प्रत्याशियों की तलाश कर रही है ओवैसी की पार्टी!
पश्चिम बंगाल में निर्णायक भूमिका में मुस्लिम वोटर्स

<p>बंगाल में चुनाव लड़ सकती है ओवैसी की पार्टी।</p>
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhan Sabha Chunav) संपन्न हो चुका है। इस चुनाव में कई सियासी उलटफेर देखने को मिले। चुनाव में कुछ पार्टियों की हालत पस्त हो गई, तो कुछ की किस्मत भी चमक गई। इसी कड़ी में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी बिहार में बड़े गुल खिलाए। काफी समय से बिहार में राजनीतिक जमीन तलाश रही AIMIM पार्टी ने आखिरकार इस चुनाव में जीत का स्वाद चख लिया। ओवैसी की पार्टी ने बिहार में पांच सीटें जीती है। इस जीद से AIMIM काफी गदगद है और अब पार्टी पश्चिम बंगाल में राजनीतिक जमीन तलाशने में जुट गई है।
पढ़ें- बिहार का दंगल खत्म, अब इन पांच राज्यों में होगा महामुकाबला, जानें क्या है समीकरण?

अब पश्चिम बंगाल में सेंध लगाने की तैयारी!

दरअसल, AIMIM पिछले कई सालों से बिहार में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। 2015 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने छह सीटों पर चुनाव लड़ थी। लेकिन, एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। वहीं, ओवैसी की पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी एक उम्मीदवार उतारे, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। 2020 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने आखिरकार जीत का खाता खोल लिया। ओवैसी की पार्टी को राज्य में पांच सीटों पर जीत मिली। जिन सीटों पर पार्टी ने जीत दर्ज की उनमें अमौर, कोचाधाम, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज सीट शामिल हैं। अब पार्टी की नजर पश्चिम बंगाल पर टिकी है। लिहाजा, वहां पर अब सियासी हलचल तेज हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, नीतीश कुमार के गढ़ में सेंध लगाने के बाद अब ओवैसी ने ममता के गढ़ में सेंध लगाने की कवायद जोर-शोर से शुरू कर दी है।
निर्णायक भूमिका में मुस्लिम वोटर्स

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पश्चिम बंगाल के 23 में से 22 जिलों में AIMIM ने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, अभी यह तय नहीं हुआ है कि पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। लेकिन, पश्चिम बंगाल में AIMIM की गतिविधि तेज हो गई है। दरअसल, राज्य में तकरीबन 30 प्रतिशत मुसलमान वोटर हैं। इनमें 8 से 9 प्रतिशत उर्दू भाषी हैं। चर्चा ये है कि ये सभी ओवैसी के समर्थन में जा सकते हैं। क्योंकि, राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या 294 हैं, इनमें 100 से लेकर 100 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। इतना ही नहीं ओवैसी की ‘आहट’ ने ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। क्योंकि, टीएमसी को डर है कि उनके मुसलमान वोटर्स कहीं ओवैसी की ओर ना चले जाएं। टीएमसी नेता फिरहाद हकीम का कहना है कि ओवैसी वोट कटवा हैं और बीजेपी के पिट्ठू हैं। वहीं, AIMIM के आसिम वकार ने टीएमसी को बीजेपी का एजेंट कहा है। इधर, बीजेपी भी पश्चिम बंगाल में लगातार जीतोड़ मेहनत कर रही है और ममता के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। लिहाजा, माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल का मुकाबला बेहद दिलचस्प हो सकता है।
पढ़ें- कांग्रेस में रार: सिब्बल बिहार में चुनाव प्रचार करने तो गए नहीं, अब बातें बना रहे हैं- चौधरी
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.