UP Assembly Elections 2022: सात सालों में 153 कद्दावर नेताओं ने छोड़ दिया मायावती का साथ

UP Assembly Elections 2022:
-आखिर कैसे चुनावी जंग लड़ेगी बसपा सुप्रीमो मायावती-किसी को निकाला गया तो कोई खुद ही छोड़ गया पतवार
 

लखनऊ.(पत्रिका न्यूज नेटवर्क)UP Assembly Elections 2022: यूपी असेंबली इलेक्शन 2022 के लिए सभी पार्टियां मैदान में उतर चुकी हैं। बहुजन समाज पार्टी ने इस बार अकेले चुनाव लडऩे का फैसला किया। सुप्रीमो मायावती का कहना है वह किसी से गठबंधन नहीं करेंगी। चुनाव बाद वह यूपी में सरकार बनाएंगी। पार्टी 2007 के करिश्मे को दोहराएगी। लेकिन, सबसे बड़ा सवाह यही है कि मायावती के बाद बसपा में कौन? बसपा महासचिव सतीश मिश्रा के अलावा कोई और बड़ा चेहरा बसपा में बचा नही है। पिछले सात सालों में छोटे-बड़े नेताओं को मिलाकर 153 से अधिक नेता बसपा का साथ छोड़ चुके हैं। जब लड़ाके और सिपहसालार ही नहीं तब बसपा जंग कैसे लड़ेगी।
आइए जानते हैं कब और कौन हाथी की सवारी छोड़ गया।


राम अचल राजभर, लालजी वर्मा
यूपी के पंचायत चुनावों में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय महासचिव राम अचल राजभर को बसपा से निकाल दिया गया है। लालजी वर्मा अंबेडकरनगर के कटेहरी और राजभर अकबरपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की लहर के बावजूद दोनों ने अपनी सीट बचाई थी। दोनों ही कांशीराम के जमाने से बसपा से जुड़े हुए थे।

दारा सिंह चौहान एवं नसीमुद्दीन सिद्दीकी


बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पूर्व सांसद दारा सिंह चौहान कभी बसपा के प्रमुख चेहरों में से हुआ करते थे। मायावती के खास माने जाने वाले दारा सिंह को मायावती ने अनुशासनहीनता के आरोप में निकाल दिया था। चौहान ने बाद में बीजेपी की शरण ले ली थी। अभी यह योगी सरकार में वन मंत्री हैं। बसपा के दिग्गज नेताओं में शामिल रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी पार्टी में मुस्लिम चेहरा थे। नसीमुद्दीन पर भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा मायावती ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं लगाई। बसपा से अलग होने के बाद नसीमुद्दीन ने कांग्रेस का दामन थाम लिया।

बाबू सिंह कुशवाहा और स्वामी प्रसाद मौर्य
वर्ष 2007 में जब मायावती की सरकार बनी तब बाबू सिंह कुशवाहा कैबिनेट मंत्री थे। यह मायावती के बेहद करीबियों में शामिल थे। लेकिन 2007 से 2012 के बीच लखनऊ और नोएडा में हुए कथित स्मारक घोटाले में बाबू सिंह कुशवाहा का नाम आया। लोकायुक्त जांच में यह 1400 करोड़ रुपए का घोटालाा था। मायावती ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। कुशवाहा के अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य भी मायावती के सबसे करीबियों में शामिल थे। लेकिन मायावती जब सत्ता से बाहर हुईं तो स्वामी प्रसाद ने भी उनका साथ छोड़ दिया और भाजपा का दामन थाम लिया था। स्वामी प्रसाद योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं

बृजेश पाठक और रामवीर उपाध्याय
बसपा आज भले ही ब्राह्मणों की राजनीति कर रही हो लेकिन कभी बसपा में प्रमुख ब्राह्मण चेहरे रहे बृजेश पाठक और रामवीर उपाध्याय अब बसपा का साथ छोड़ चुके हैं। बृजेश पाठक योगी सरकार में कानून मंत्री हैं जबकि, रामवीर उपाध्याय भी पार्टी छोड़ चुके हैं। उनकी पत्नी भाजपा के सहयोग से जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।

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