फाग मास में महाशिवरात्रि जैसा परम पावन त्यौहार आता है, जिसमें भक्तों का भगवान शिव के प्रति विशेष स्नेह दिखलाई देता है। जीवन में सफलता आयु आरोग्य ऐश्वर्य संतान आदि की प्राप्ति तथा सकल कल्याण के लिए भगवान शिव के भक्त अलग-अलग स्तुति तथा साधना करते हैं।
महाकालेश्वर में ही शिव नवरात्र का महत्त्व
देश में एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणेश्वर होकर पृथ्वी के केंद्र बिंदु पर स्थित है, जहां महाशिवरात्रि के पहले शिव नवरात्र पर्व मनाते हैं। जिस प्रकार दैवीय नवरात्रि में नौ दिन साधना होती है। वैसे ही महाकाल क? शिवरात्रि ?? पूर्व अर्थात पंचमी तिथि से लेकर त्रयोदशी पर्वकाल (महाशिवरात्रि पर्यन्त) तक शिव नवरात्र मनाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। यहां नौ ही दिन भूत भावन भगवान महाकाल का अलग-अलग प्रकार से श्रृंगार किया जाता है। विभिन्न ऋतु फलों के रसों से अभिषेक कर सुंदर पुष्पों से शिव की पूजा की जाती है।
देश में एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणेश्वर होकर पृथ्वी के केंद्र बिंदु पर स्थित है, जहां महाशिवरात्रि के पहले शिव नवरात्र पर्व मनाते हैं। जिस प्रकार दैवीय नवरात्रि में नौ दिन साधना होती है। वैसे ही महाकाल क? शिवरात्रि ?? पूर्व अर्थात पंचमी तिथि से लेकर त्रयोदशी पर्वकाल (महाशिवरात्रि पर्यन्त) तक शिव नवरात्र मनाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। यहां नौ ही दिन भूत भावन भगवान महाकाल का अलग-अलग प्रकार से श्रृंगार किया जाता है। विभिन्न ऋतु फलों के रसों से अभिषेक कर सुंदर पुष्पों से शिव की पूजा की जाती है।
अच्छे से सजते हैं महाकाल
वर्ष में शिव नवरात्र में महाशिवरात्रि की रात्रि में भगवान महाकाल दूल्हा रूप में सजते हैं, जिसमें उन्हें नवीन वस्त्र तथा रजत आभूषण आदि से सजाया जाता है। दूसरे दिन मध्यान्ह में भस्मारती का अनुक्रम होता है। भगवान महाकाल का फूलों से आच्छादित सेहरा भक्तों में वितरित किया जाता है। द्वादश ज्योतिर्लिंग में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ही एकमात्र ऐसा है जहां ब्रह्म मुहूर्त में भस्मारती का क्रम होता है अर्थात भस्म के श्रृंगार द्वारा भगवान शिव की आरती की जाती है। यही नहीं ब्रह्म मुहूर्त का भगवान शिव से विशेष संबंध है। जो संपूर्ण सिद्धि व सफलता देने में समर्थ हैं।
वर्ष में शिव नवरात्र में महाशिवरात्रि की रात्रि में भगवान महाकाल दूल्हा रूप में सजते हैं, जिसमें उन्हें नवीन वस्त्र तथा रजत आभूषण आदि से सजाया जाता है। दूसरे दिन मध्यान्ह में भस्मारती का अनुक्रम होता है। भगवान महाकाल का फूलों से आच्छादित सेहरा भक्तों में वितरित किया जाता है। द्वादश ज्योतिर्लिंग में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ही एकमात्र ऐसा है जहां ब्रह्म मुहूर्त में भस्मारती का क्रम होता है अर्थात भस्म के श्रृंगार द्वारा भगवान शिव की आरती की जाती है। यही नहीं ब्रह्म मुहूर्त का भगवान शिव से विशेष संबंध है। जो संपूर्ण सिद्धि व सफलता देने में समर्थ हैं।