मंदिरों में बरसों से दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि इस मंदिर पर सभी मन्नतें पूरी होती हैं। लेकिन यहां पर रोजाना बदलने वाले शृंगार की बात विशेष है। वहीं, भगवान शिव का शृंगार करने वाले दल के सदस्य ने बताया कि इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष भगवान शिव का रोजाना शृंगार किया जाता है। जो आमतौर पर सभी शिव मंदिरों या अन्य मंदिरों में होता है। लेकिन यहां सावन माह में शृंगार बदलबदलकर किया जाता है। यानी की रोजाना नया शृंगार। जो कभी-कभी हमारें लिए चैलेंजिंग भी हो जाता है। पूरे माह रोजाना बदल-बदलकर शृंगार कठिन भी है। क्योंकि यह सोचना पड़ता है कि अगले दिन कैसे शृंगार करें। लेकिन इस समस्या से निजात पाने के लिए कुछ बरसों से संगठन की ओर से सावन माह के पूर्व ही बैठक की जाती है।
जिसमें यह निर्धारित कर लिया जाता है कि किस दिन क्या शृंगार किया जाएगा। एक-एक दिन निर्धारित कर लिया जाता है। जिससें हमारी समस्या का समाधान हो जाता है। इस वर्ष आनोखा संगठन के सदस्यों ने बताया कि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस,जन्माष्टमी, सावन का सोमवार एक ही दिन पड़ रहे थे। इस लिए हमारे लिए संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने उक्त दिन विशेष तौर पर शृंगार करने का निर्णय लिया। जिसके तहत हमने कुछ एेसा निर्धारित किया। जिसमें सभी पर्व का संदेश मिल सके। इसलिएहमने तिरंगे के रूप में भारत का नक्शा बनाने का निर्णय किया। इसलिए हमने उक्त दिन घास, फूल और गुब्बारों से सजावट की और भोले का शृंगार किया। जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा।