भादौ मास के प्रथम सोमवार को निकले राजाधिराज महाकाल नगर भ्रमण पर

भगवान महाकालेश्वर भादौ माह के प्रथम सोमवार आज अपनी प्रजा को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले

<p>ujjain mahakal sawari</p>
मध्यप्रदेश के प्राचीनतम नगरी उज्जैन के राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर भादौ माह के प्रथम सोमवार आज अपनी प्रजा को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले और भगवान ने अपनी प्रजा को छठी सवारी में छह रूपों में दर्शन दिये। देश के बारह ज्योतिर्लिगों में प्रमुख प्रसिद्ध महाकालेश्वर की परंपरागत तरीके से प्रतिवर्ष श्रावण व भादौ मास में सवारी निकलती है और यह परंपरा आजादी के पूर्व से ग्वालियर स्टेट के पूर्व से चली आ रही है।
सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान महाकाल का पूजन-अर्चन सम्पन्न हुई। इसके बाद निर्धारित समय से भगवान महाकाल की पालकी को नगर भ्रमण के लिये रवाना किया गया। सवारी में रजतजडित पालकी में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर विराजित थे और पालकी के पीछे हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड रथ पर श्री शिव तांडव की प्रतिमा और नंदी रथ पर श्री उमामहेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखौटा तथा रथ पर घटाटोप का मुखारविन्द विराजित होकर अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए शाही ठाट-बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकले।
मंदिर से जैसे ही पालकी मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, वैसे ही सशस्त्र पुलिस बल के जवानों के द्वारा सलामी दी गई। पालकी के आगे घुडसवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि की टुकडियां मार्च पास्ट करते हुए चल रही थीं। राजाधिराज भगवान महाकाल की सवारी में हजारों भक्त भगवान शिव का गुणगान करते हुए तथा विभिन्न भजन मंडलियां झांझ-मंजीरे, डमरू बजाते हुए चल रहे थे। सवारी मार्ग के दोनों ओर हजारों श्रद्धालु पालकी में विराजित चन्द्रमौलेश्वर के दर्शन कर उन पर पुष्प वर्षा की। इस सवारी यात्रा के दौरान ग्वालियर राजघराने के कई सदस्य तथा शहर के जाने-माने गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
सवारी महाकाल मंदिर से रामघाट पहुंची, जहां पर शिप्रा के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजा-अर्चना की गई। इसके पश्चात सवारी अपने निर्धारित मार्ग से होते हुए पुन: महाकाल मंदिर को रवाना हुई।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.