कैलाश मानसरोवर यात्रा 8 जून से शुरू, हर शिवभक्त को जाननी चाहिए मानसरोवर शिवधाम की ये रोचक बातें
कैलाश मानसरोवर दुनिया का सबसे ऊंचा शिवधाम कहलाता है। पुराणों के अनुसार, कैलाश को शिवजी का घर माना गया है, यहां बर्फ ही बर्फ में भोले नाथ शंभू तप में लीन शालीनता से, शांत, निष्चल, अघोर धारण किए हुऐ एकंत तप में लीन है। धर्म व शास्त्रों में उनका वर्णन प्रमाण है। इस स्थान को 12 ज्येतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। हर साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए हज़ारों साधु-संत, श्रद्धालु, दार्शनिक यहां भोलेनाथ के दर्शन के लिए एकत्रित होते हैं। यह जगह काफी रहस्यमयी बताई गई है।
कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है। मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है। प्राचीन काल से विभिन्न धर्मों के लिए इस स्थान का विशेष महत्व है। इस स्थान से जुड़े विभिन्न मत और लोककथाएं केवल एक ही सत्य को प्रदर्शित करती हैं, जो है ईश्वर ही सत्य है, सत्य ही शिव है। आइए जानते हैं मानसरोवर के बारे में रोचक बातें...
कुबेर नगरी से भी जाना जाता हैं कैलाश मानसरोवर
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह जगह कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं। कैलाश पर्वत पर कैलाशपति सदाशिव विराजे हैं जिसके ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है।
मानसरोवर में डुबकी का महत्व
गर्मी के दिनों में मानसरोवर की बर्फ पिघलती है और ऐसा कहा जाता है की बर्फ के पिघलने पर एक प्रकार की आवाज लगातार भक्तों को सुनाई देती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यह आवाज मृदंग की होती है। मान्यताओं के अनुसार यह ऐसा भी माना जाता है कि कोई व्यक्ति मानसरोवर में एक बार डुबकी लगा ले, तो वह‘रुद्रलोक’पहुंच सकता है।
'क्षीर सागर' मानसरोवर झील और रहस्य
मान्यताओं के अनुसार इस सरोवर का जल आंतरिक स्त्रोतों के माध्यम से गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी में जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव द्वारा प्रकट किए गए जल के वेग से जो झील बनी, उसी का नाम मानसरोवर हुआ था। आपको बता दें की मानसरोवर पहाड़ों से गुजरते हुए यहां पर एक झील है, पुराणों में इस झील का जिक्र 'क्षीर सागर' से किया गया है। क्षीर सागर कैलाश से 40 किमी की दूरी पर है। और इस झील में ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी शेष शैय्या पर विराजते हैं।
सकारत्मक और नकारात्मक उर्जा का स्त्रोत है झील
यहां दो झीलें मानसरोवर झील और राक्षस झील का संबंध सकारात्मक और नकारात्मक उर्जा से है क्योंकि ये दोनों झीलें सौर और चंद्र बल को प्रदर्शित करते हैं। यदि आप इन झीलों को दक्षिण की तरफ से देखेंगे तो आपको एक स्वस्तिक का चिन्ह बना दिखेगा। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जिसका स्वर 'ॐ' जैसा सुनाई देता है।
मानसरोवर की आलौकिक क्रियाएं
मानसरोवर में ऐसी बहुत सी खास बातें हैं जो आपके आसपास होती रहती हैं, लेकिन इन्हे आप केवल महसूस ही कर सकते हैं। यह झील लगभग 320 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। सुबह के 2:30 से 4.00 बजे के बीच इस झील के आसपास आप जोर-शोर से नई क्रिया होते सुनेंगे। जो केवल आप महसूस कर सकते हैं। उन्हे देख नहीं सकते, ये क्रियाएं सच में काफी आलौकिक होतीं हैं जिसमें आपको परमात्मा का आपके आसपास होना महसूस करवाता है।