इसी के तहत उत्तराखंड के सीएम तीरथ रावत और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में केदारनाथ उत्थान ट्रस्ट व तेल और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पब्लिक सेक्टर कंपनियों के बीच एमओयू / MoU गुरुवार को किया गया। एमओयू के लिए सचिवालय में वर्चुअल रूप से कार्यक्रम आयोजित किया गया।
सामने आ रही जानकारी के अनुसार बद्रीनाथ के री-डेवलपमेंट के लिए सरकारी तेल और गैस कंपनियों ने श्री बद्रीनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ एक MoU पर साइन किए हैं।
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इस एमओयू में बद्रीनाथ धाम का जीर्णोद्धार के साथ ही उसे एक धार्मिक स्मार्ट पहाड़ी शहर के रूप में विकसित करने की बात कही गई है। इस MoU पर हस्ताक्षर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की मौजूदगी में किए गए।
इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे, हमें इसका भी ध्यान रखना है। प्रथम चरण में यहां अस्पताल का विस्तारीकरण के साथ ही रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, तटबंधों में सुदृढ़ीकरण, लैंड स्कैपिंग, भीड़ होने पर होल्डिंग एरिया,पुलों की रेट्रोफिटिंग आदि कार्य होने हैं। इस असवर पर कार्यक्रम में पेट्रोलियम मंत्रालय ने विकास कार्यों को लेकर आगे की रणनीति प्रस्तुत की।
ये कंपनियां आईं आगे
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि देश की प्रमुख सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, गेल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केन्द्र बद्रीनाथ धाम के पुनर्विकास पर 100 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बद्रीनाथ धाम के पुनर्विकास की योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस तीर्थ की आध्यात्मिक परंपरा को बनाए रखने के विजन के अनुरूप है।
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दरअसल 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ धाम में शुरू हुए पुनर्निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ की तर्ज पर बदरीनाथ धाम का भी कायाकल्प करने का निर्णय लिया था।
वहीं इस संबंध में उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत का कहना है कि राज्य सरकार अगले तीन वर्ष में बदरीनाथ धाम के कायाकल्प के लिए प्रतिबद्ध है। तेल कंपनियों का धाम के विकास में योगदान सराहनीय है। राज्य सरकार का क्षेत्र में होमस्टे को बढ़ावा देने पर भी फोकस है ताकि श्रद्धालुओं को यहां आने पर सस्ती सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।
85 हेक्टेयर भूमि में चरणबद्ध तरीके से होंगे कार्य
बताया जाता है कि यहां कुल 85 हेक्टेयर भूमि में चरणबद्ध तरीके से कार्य किए जाएंगे। वहीं बदरीनाथ धाम में आगामी 100 साल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भी बुनियादी व यात्रियों की सुविधाओं के लिए आवश्यक इंतजाम किए जाएंगे।
यहां व्यास गुफा, गणेश गुफा व चरण पादुका आदि का भी पुनर्विकास किया जाना है। इसके अलावा यहां अलकनंदा नदी के तटबंध कार्यों के अलावा जल निकासी, लाइट, सीसीटीवी, शौचालय, पुल सहित कई कार्य होने प्रस्तावित हैं।
धार्मिक तीर्थ स्थलों की अर्थव्यवस्था…
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि बद्रीनाथ धाम केवल करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र ही नहीं, बल्कि देश में धार्मिक तीर्थ स्थलों की अर्थव्यवस्था का भी प्रमुख स्थान है। इसके री-डिवेलपमेंट से स्थानीय स्तर पर अधिक रोजगार पैदा होने के चलते यहां के लोगों की आजीविका बेहतर करने के अवसर पैदा होंगे।