कौशिकी ने कहा कि पिछली कुछ सदियों में उन सभी महिलाएं जैसे गंगा, सरस्वती, दुर्गा, लक्ष्मी, द्रोपदी, कुंती, सीता, राधा, मीरा व कमली आदि ने संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उनको इस कार्यक्रम के जरिए ट्रिब्यूट देने का प्रयास किया गया है। कार्यक्रम की शुरुआत श्रुति मंडल की शोभा सुराना, चन्द्र सुराना, प्राचीर सुराना, सुधीर माथुर, पूर्व मंत्री बीना काक ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
छोटी-छोटी रचनाओं में साकार हुई त्रिवेणी
छोटी-छोटी रचनाओं में साकार हुई त्रिवेणी
कार्यक्रम की शुरुआत में कौशिकी ने विभिन्न श्लोकों के जरिए भक्तिमय प्रस्तुति दी। इसमें गणपति के श्लोक से लेकर गुरु बह्मा और शिव स्तुति भी शामिल थी। इसके बाद उन्होंने पिता पं. अजय चक्रवर्ती की रचना ‘चतुरंग’ को विशेष अंदाज में पेश किया। गायन, वादन और नृत्य के समावेश के साथ इसमें परकशन को जोड़ते हुए अलग-अलग चार सेक्शन में इस प्रस्तुति को अंजाम दिया। राग चारुकेशी में तीन ताल, एक ताल, रुपक और झप ताल में निबद्ध त्रियम में वायलिन, बासुरी, तबला व पखावज की चौबंदी से जादू कर दिया।