सखियों ने म्यूजिक की त्रिवेणी में जयपुराइट्स को लगवाए गोते

श्रुति मंडल और रघु सिन्हा माला माथुर चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से बिड़ला ऑडिटोरिय में आयोजित हुआ कार्यक्रम, कौशिकी चक्रवर्ती के बनाए बैंड ‘सखी’ की प्रस्तुतियों ने जीता दिल

<p>सखियों ने म्यूजिक की त्रिवेणी में जयपुराइट्स को लगवाए गोते</p>
जयपुर. कौशिकी के सुर, सावनी तलवरकर के तबले व महिमा उपाध्याय के पखावज की थाप, देवप्रिया चटर्जी की बासुरी की धुन, नंदिनी शकर के वायलिन की झंकार और भक्ति देशपांडेय का नृत्य प्रस्तुति जब मंच पर साकार हुई, तो पूरा माहौल संगीत की विविध विधाओं को एकाकार होते हुए अपने सौन्दर्य का अहसास करवाता नजर आया। अनूठी संगत और सधे फ्यूजन ने ऑडियंस को झूमने के लिए विवश कर दिया। मौका था, देश की जानी-मानी क्लासिकल सिंगर कौशिकी चक्रवर्ती के बनाए बैंड ‘सखी’ की प्रस्तुति का। श्रुति मंडल और रघु सिन्हा माला माथुर चैरिटेबल ट्रेस्ट की ओर से सोमवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में माला माथुर स्मृति समारोह के तहत कौशिकी चक्रवर्ती के निर्देशन में ‘सखी’ बैंड ने प्रस्तुति दी। यह पूरा कार्यक्रम भारतीय नारीत्व के लिए एक म्यूजिकल ट्रिब्यूट रहा, जिसमें नृत्य और संगीत के जरिए कहानियां कही गई। कार्यक्रम में भारतीय और कर्नाटक संगीत की विभिन्न विधाओं यानी खयाल, ठुमरी, दादरा, चैती, होरी, कजरी, तराना, थिलाना और भजन के सुंदर समायोजन देखने को मिला। सखी बैंड ने सुर-लय-ताल की त्रिवेणी बहाई। कौशिकी चक्रवर्ती के नेतृत्व में शास्त्रीय स्वर सजा और साज को झंकार भी दी। सभी कलाकारों ने एक लय में भाव सजाया और विभोर किया।
कौशिकी ने कहा कि पिछली कुछ सदियों में उन सभी महिलाएं जैसे गंगा, सरस्वती, दुर्गा, लक्ष्मी, द्रोपदी, कुंती, सीता, राधा, मीरा व कमली आदि ने संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उनको इस कार्यक्रम के जरिए ट्रिब्यूट देने का प्रयास किया गया है। कार्यक्रम की शुरुआत श्रुति मंडल की शोभा सुराना, चन्द्र सुराना, प्राचीर सुराना, सुधीर माथुर, पूर्व मंत्री बीना काक ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
छोटी-छोटी रचनाओं में साकार हुई त्रिवेणी
कार्यक्रम की शुरुआत में कौशिकी ने विभिन्न श्लोकों के जरिए भक्तिमय प्रस्तुति दी। इसमें गणपति के श्लोक से लेकर गुरु बह्मा और शिव स्तुति भी शामिल थी। इसके बाद उन्होंने पिता पं. अजय चक्रवर्ती की रचना ‘चतुरंग’ को विशेष अंदाज में पेश किया। गायन, वादन और नृत्य के समावेश के साथ इसमें परकशन को जोड़ते हुए अलग-अलग चार सेक्शन में इस प्रस्तुति को अंजाम दिया। राग चारुकेशी में तीन ताल, एक ताल, रुपक और झप ताल में निबद्ध त्रियम में वायलिन, बासुरी, तबला व पखावज की चौबंदी से जादू कर दिया।
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