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पार्टिसिपेंट्स ने सीखी ‘जयपुर कथक घराने’ की बारीकियां

– जेकेके की ओर से आयोजित हो रहा है ‘ऑनलाइन लर्निंग – चिल्ड्रन्स समर फेस्टिवल’

जयपुरMay 25, 2020 / 03:39 pm

Anurag Trivedi

पार्टिसिपेंट्स ने सीखी ‘जयपुर कथक घराने’ की बारीकियां

जयपुर. जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित ‘ऑनलाइन लर्निंग – चिल्ड्रन्स समर फेस्टिवल’ के छठे दिन गुरुवार को प्रतिभागियों ने ‘जयपुर कथक’ सेशन में जयपुर कथक घराना शैली के नृत्य के गुर सीखे। 3 दिवसीय सेशन का संचालन कथक व्याख्याता नमिता जैन कर रहीं हैं। सेशन के दौरान प्रतिभागियों को विभिन्न नृत्य मुद्राएं, हाथों के हाव-भाव, पैरों की मुद्राएं आदि सीखने का अवसर मिला। सेशन की शुरुआत में प्रतिभागियों को कथक नृत्य शैली के बारे में जानकारी दी गई। नमिता ने बताया कि कथक शब्द ‘कथा’ से लिया गया है जिसका अर्थ ‘कहानी’ और ‘कथाकार’ या ‘कहानीकार’ से है। इस दौरान उन्होंने कथक की जयपुर घराना शैली की विशिष्टताओं को भी साझा किया गया। इसके बाद कथक में ‘ताल’ और ‘लय’ के महत्व समझाया। इसी तरह कथक परफॉर्मेंस के दौरान बजाए जाने वाले वाद्ययंत्र एवं धुनों पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
बीट्स और ताल की नॉलेज

सेशन में कथक नृत्य पर विस्तार से जानकारी साझा करने के बाद कलाकार ने प्रतिभागियों के लिए नृत्य प्रदर्शन भी किया। उन्होंने नृत्य आरंभ करने से पहले ‘प्रणाम’ करके दिखाया कि कैसे नृत्य आरंभ करने से पहले आशीर्वाद लिया जाता है। कलाकार ने प्रतिभागियों को 16 मात्रा (16 बीट्स) की ‘तीन ताल’ के बारे में बताया जो कि कथक नृत्य का आधार है। ‘तीन ताल’ कथक में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाली ताल है। यह ‘ततकार’ (फुटवर्क) का एक हिस्सा है जो कथक की नींव है। इस सेशन में प्रतिभागियों को कथक की विशिष्ट परिभाषाओं जैसे कि आवर्तन, ताली, हस्तक आदि के बारे में भी जानकारी दी गई।

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