बच्चों में बढ़ रहे गुस्से के लिए पैरेंट्स भी जिम्मेदार हेमा हरचंदानी ने कहा कि बच्चों में बढ़ रहे एंगर और इरिटेशन के लिए कहीं ना कहीं पैरेंट्स ही जिम्मेदार है। आजकल एक-डेढ़ साल के बच्चे को भी मां फोन पर रायम्स दिखाते हुए खाना खिलाती है। बच्चे की ये आदत हम ही डवलप कर रहे हैं। आप अगर बच्चे को एक दिन में बदलने की कोशिश करेंगे, तो उसका रिएक्ट करना लाजमी है। आपको शुरू से नियम बनाने होंगे। ऑनलाइन गेमिंग पर उन्होंने कहा कि बच्चा आपकी एबसेंस में दूसरे ऑप्शंस ढूंढता है। आप बच्चे के लिए एक्टिविटी प्लान करें, उसका हिस्सा बनें। ऑनलाइन गेमिंग के एडिक्शन को एक दिन में नहीं धीरे-धीरे कम किया जा सकता है।
गोल अचीव करने तक की जर्नी में बच्चे का साथ दें पैनलिस्ट आभा मील ने न्यूट्रिशन पर बात करते हुए कहा कि बच्चे को शुरू से अच्छी डाइट देना जरूरी है। आजकल अधिकतर बच्चे खाना इसलिए नहीं खाते की उन्हें भूख लग रही होती है, बल्कि इसलिए खाते हैं, क्योंकि उन्हें खाना दिया जाता है। खाना हमेशा सब लोग साथ खाने की कोशिश करें, इस दौरान टेबल पर हैल्दी डिस्कशन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पैरेंट्स बच्चों के लिए गोल तो बना देते हैं कि तुम्हें 95 परसेंट माक्र्स लाने हैं। लेकिन उस गोल तक पहुंचने की जर्नी में बच्चे का साथ नहीं देते। आप इस जर्नी में बच्चे की हैल्प करें, उसके साथी बनें।
टेक्नोलॉजी को सही तरीके से इंट्रोड्यूज करना जरूरी
प्रियंका बरकाना ने कहा कि सब कुछ इस बात पर डिपेंड करता है कि आपने बच्चे से टेक्नोलॉजी को कैसे इंट्रोड्यूज किया है। अगर आपने सिर्फ इंटरटेनमेंट के रूप में इंट्रोड्यूज की है, तो बच्चा उसे लर्निंग एलिमेंट कैसे समझेगा। बच्चों के लिए वैल्यूबल स्क्रीन टाइम तय करना होगा। वहीं स्वेतिका कपूर ने ऑनलाइन एजुकेशन पर बात करते हुए कहा कि ये एकदम से आया हुआ चेंज है, जिसके लिए हम तैयार नहीं थे। हां स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से बच्चों की आंखों पर प्रभाव पड़ रहा है, इसके लिए आप स्क्रीन शील्ड का यूज करें, साथ ही बच्चे के सही बॉडी पॉशचर में बैठने का भी ध्यान रखें। अगर बच्चों के लिए आप ही कार्टून बन जाएंगे, तो उन्हें कार्टून चैनल की जरूरत ही नहीं रहेगी। बच्चों के लिए प्रोजेक्ट बेस्ड पर फोकस करना होगा।
प्रियंका बरकाना ने कहा कि सब कुछ इस बात पर डिपेंड करता है कि आपने बच्चे से टेक्नोलॉजी को कैसे इंट्रोड्यूज किया है। अगर आपने सिर्फ इंटरटेनमेंट के रूप में इंट्रोड्यूज की है, तो बच्चा उसे लर्निंग एलिमेंट कैसे समझेगा। बच्चों के लिए वैल्यूबल स्क्रीन टाइम तय करना होगा। वहीं स्वेतिका कपूर ने ऑनलाइन एजुकेशन पर बात करते हुए कहा कि ये एकदम से आया हुआ चेंज है, जिसके लिए हम तैयार नहीं थे। हां स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से बच्चों की आंखों पर प्रभाव पड़ रहा है, इसके लिए आप स्क्रीन शील्ड का यूज करें, साथ ही बच्चे के सही बॉडी पॉशचर में बैठने का भी ध्यान रखें। अगर बच्चों के लिए आप ही कार्टून बन जाएंगे, तो उन्हें कार्टून चैनल की जरूरत ही नहीं रहेगी। बच्चों के लिए प्रोजेक्ट बेस्ड पर फोकस करना होगा।