कैंसर पेशंट को प्लाज्मा देने दिल्ली गए, अस्पताल में लगवाए पंखे, सिलेंडर दिए

 
– रचनात्मकता के अलावा कोरोना के खिलाफ जंग में भी आगे हैं शहर के कलाकार, लोगों के साथ मिलकर कर रहे हैं मदद

<p>कैंसर पेशंट को प्लाज्मा देने दिल्ली गए, अस्पताल में लगवाए पंखे, सिलेंडर दिए</p>
जयपुर. कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में हर व्यक्ति जुड़कर लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। महामारी में लोगों की जान बचाने की इस मुहिम में शहर के कलाकार भी अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। कई साल से जयपुर में पियानो सिखाने वाले प्रदीप चतुर्वेदी इस संक्रमण के बीच दिल्ली के हॉस्पिटल में कैंसर पेशंट को प्लाज्मा देने अपनी निजी कार से पहुंचे। वहीं एक्टर हनी शर्मा अपनी मां को हॉस्पिटल में एडमिट करवाने पहुंचे जहां मरीजों को गर्मी से परेशान होते देखने के बाद शहर के अन्य लोगों की मदद के साथ वहां पंखे लगवा चुके हैं। शहर के मूर्तिकार महावीर भारती ने हाल ही मरीजों की मदद के लिए अपने स्टूडियो से ऑक्सीजन सिलेंडर भी उपलब्ध करवाया। ऐसे कई उदाहरण हैं, जो शहर में रचनात्मकता का कार्य करने के साथ लोगों की जान बचाने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
आधी रात दिल्ली रवाना

पियानिस्ट प्रदीप चतुर्वेदी ने बताया कि चंचल फाउंडेशन के दीपक चड्ढा से जेनपेक्ट जयपुर में काम करने वाले एक कर्मचारी ने सम्पर्क किया। उन्होंने अपने दोस्त की बहन के लिए एबी पॉजिटिव प्लाज्मा की आवश्यकता बताई। उन्हें दूसरी बार कैंसर डिटेक्ट हुआ था और इलाज के दौरान कोविड हो गया। प्रदीप ने बताया कि जब इसकी सूचना मिली तो अपने दोस्त के साथ रात 12 बजे दिल्ली के लिए कार से रवाना हो गया। सुबह सात बजे राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर रोहिणी, दिल्ली में अपना प्लाज्मा डोनेट किया। प्रदीप ने बताया कि हम समय-समय पर जयपुर में रक्तदान शिविर लगाते हैं और लोगों को मोटिवेट करते हैं कि इस समय लोगों को प्लाज्मा देकर बचाया जा सकता है।
पूरे दिन हाथ से पंखा झलते थे मरीज के परिजन
एक्टर हनी शर्मा ने बताया कि अप्रेल के महीने में मम्मी को कोविड हो गया था। उन्हें एडमिट करवाने के लिए आरयूएचएस गया। यहां 24 घंटे रुकना पड़ा, वहां गर्मी से लोगों की हालात खराब थी। मरीज के परिजन पूरे दिन हाथ से मरीजों को पंखा झलते थे। हनी के अनुसार खुद संक्रमित होने के बावजूद इस परेशानी को देखने के बाद अपने दोस्तों की टीम के जरिए हॉस्पिटल में टेबल फैन लगाने का निर्णय किया। कुछ ही दिनों में हमने अस्पताल में 30 पंखे खुद इंस्टॉल किए। हनी बताते हैं कि मम्मी ठीक होकर घर आ चुकी हैं, इसके बाद भी सुबह-शाम मैं हॉस्पिटल जाकर पानी की बोतल, फेस मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध करवा रहा हूं और मरीज के परिज काो मोटिवेट कर रहा हूं कि इन परिस्थितियों में वे कैसे यहां सुरक्षित रह सकते हैं।

मूर्ति बनाने का काम बंद तो सिलेंडर से मदद
मूर्तिकार महावीर भारती ने बताया कि पिछले महीने स्टूडियो में काम बंद हो गया था। ऐसे में जो सिलेंडर कंपनी से मंगवाए थे, उन्हें वापस भिजवा दिया और दो सिलेंडर मेरे खुद के थे, जिन्हें कोविड मरीज को उपलब्ध करवा दिया। जहां मैंने अपना स्टूडियो बना रखा है, उस जगह के मालिक को भी कोविड हो गया था, उन्हें भी सिलेंडर दिया गया। अब हम इन सिलेंडर्स को जरूरत के मुताबिक उपलब्ध करवा देते हैं। कई पेशंट खाली सिलेंडर ले जाते हैं और वे यूज कर वापस दे जाते हैं। ये सिलेंडर हम मूर्तियों में वेल्डिंग के लिए काम में लेते थे।
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