भूकंप केंद्र नेपाल में
जानकारी के अनुसार नेपाल की राजधानी काठमांडू में रिक्टर स्केल पर छह की तीव्रता वाला जोरदार भूकंप आया। इतना असर नेपाल सीमावर्ती बिहार के भू-भाग पर भी पड़ा। बिहार के पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, सारण, सिवान, गोपालगंज, सीतामढ़ी, शिवहर, समस्तीपुर, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर व पटना आदि दर्जनों जिलों में महसूस किए गए।
मची अफरा-तफरी
भूकंप के कारण पटना सहित बिहार के प्रभावित जिलों में लोग सुबह-सुगबह घरों से बाहर निकल गए। हालांकि, अल सुबह में भूकंप आने के कारण बड़ी आबादी को सोए होने के कारण सह महसूस भी नहीं हो सका। उधर, नेपाल में इस भूकंप से दहशत का माहौल कायम हो गया। वहां भी लोग घरों से भागकर सड़कों पर निकल गए। हालांकि, जान-माल की क्षति की कोई सूचना नहीं मिली है।
2015 में आया था विनाशकारी भूकंप
विदित हो कि इससे पहले नेपाल में साल 2015 में भारी भूकंप आया था, जिससे 8000 से अधिक मौते हुई हैं और 2000 से अधिक घायल हुए थे। भूकंप के झटके चीन, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी महसूस किये गये। रिक्टर स्केल पर 9.& तीव्रता वाले उस भूकंप का केंद्र काठमांडू के नजदीक पोखरा में था। उसके बाद रह-रहकर कई दिन तक छोटे-बड़े भूकंप आते रहे थे। उसका असर बिहार पर भी पड़ा था।
ढह गई थी धरहरा मीनार
इससे नेपाल के कई प्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को भारी नुकसान हुृआ था। भूकम्प की वजह से एवरेस्ट पर्वत पर हिमस्खलन आ गया जिससे 17 पर्वतारोहियों के मृत्यु हो गई थी। काठमांडू घाटी में यूनेस्को विश्व धरोहर समेत कई प्राचीन एतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुचाँ। 18वीं सदी में निर्मित धरहरा मीनार पूरी तरह से नष्ट हो गयी थी।
प्लेटों के टकराने से आते हैं भूकम्प
नेपाल का भूभाग धरती के अंदर हिन्द-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट के यूरेशियाई प्लेट से टकराने की जगह जिससे हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ था वह दक्षिणी सीमा पर स्थित है। यहाँ धरती के अंदर टेक्टोनिक प्लेटों के विस्थापन की गति लगभग 1.8 इंच प्रति वर्ष है। भूकंप के परिमाप, स्थिति और परिस्थितियों से पता चलता है कि भूकंप का कारण मुख्य प्लेट के खिसकने की वजह से हुई। 2015 में आए भूकंप की तीव्रता इसलिये भी बढ गयी क्यासें कि इसका उद्गम स्थल काठमांडू के पास था जो कि काठमांडू बेसिन में है जहाँ भारी मात्रा में अवसादी शैल स्थित है।