पन्ना में 238 हेक्टेयर में तैयार किया जा रहा नया जंगल, ड्रोन से हो रही मॉनिटरिंग

जिले के अमानगंज तहसील के बरोहां में दो सालों में लगाए गए करीब चार लाख पौधे अब 8 से 12 फीट तक के हो गए हैं। जिले में अत्याधुनिक तकनीक से हो रही जंगल की रखवाली के मिल रहे आपेक्षित परिणाम।
 

<p>New jungle prepared in 238 hectares in Panna, monitoring from drone</p>
पन्ना/पवई. जिले में वन विभाग द्वारा दक्षिण वन मंडल के अमानगंज तहसील के बरोहां से लगे 238 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में नया जंगल तैयार किया जा रहा है। यहां वन विभाग की ओर से बीते दो सालों में करीब 4 लाख पौधे रोपे गए। जिनमें से अधिकांश पौधे अब 8 से 12 फीट तक के हो गए हैं। तैयार हो रहे इस जंगल की रखवाली के लिये विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों का सार्थक परिणाम भी निकलने लगे हैं।
इस जंगल की मॉनीटरिंग के लिये वन विभाग द्वारा ड्रेान जैसी आधुनिक तकनीक का स्तेमाल किया जा हरा है। गौरतलब है कि वन विभाग द्वारा पवई वन क्षेत्र में तेंंदूघाट मध्यम सिंचाई परियोजना के लिये वन विभाग ने राजस्व विभाग को वन भूमि दी थी। इसके बदल राजस्व विभाग द्वारा वन तैयार करने के लिये वन विभाग को अमानगंज तहसील के ग्राम बरोहां मे 238.36 हेक्टेयर भूमि क्षतिपूर्ति के रूप में दी थी। डीएफओ मीना मिश्रा ने बताया, वन विभाग द्वारा उक्त जमीन में वर्ष 2017-18 में 2 लाख पौधे रोपे गए थे। जो पौधे अब 8 से 12 फीट लंबे हो गए हैं। जबकि वर्ष 2018-19 में 1 लाख 46 हजार 250 पौधो का रोपण किया गया। ये पौधे 4 से 10 फीट तक के हो गए हैं। एसडीओ आरएन द्विवेदी ने बताया , उक्त जमीन पथरीली थी।इससे यहां जंगल तैयार करने के लिये वन अमले को काफी मसक्कत करनी पड़ी। विभाग के मैदानी अमले के परिश्रम का परिणाम है कि जहां कुछ सालों पहले तक सिर्फ पत्थर हुआ करता था वहां आज लाखों की सं या में पेड़ लहलहा रहे हैं। उन्होंने बताया, क्षतिपूर्ति वनीकरण योजना अन्तर्गत सागौन, शीसम, ख हेर, चिराल, सफेद शिरस सहित अन्य प्रजाति के पौधो का रोपण किया गया है। जिसमें विभाग के रेंजर शिशु पाल अहिरवार, वनपाल निवास पांडेय, वन रक्षक प्रताप यादव ने कठिन परिश्रम किया।
ड्रोन से की गई जंगल की मॉनीटरिंग
वन विभाग द्वारा दो साल में रोपे गए पौधों को देखने के लिये डीएफओ मीना मिश्रा सहित वन विभाग के अधिकारी दोपहर में तैयार किए जा रहे जंगल में पहुंचे। यहां जंगल के विभिन्न क्षेत्रों में पौधों की बढ़त देखने के लिये ड्रोन कैमरे का सहारा लिया गया। बताया गया कि ड्रैन छतरपुर से मंगाया गया था।
ड्रेन कैमरे की सहायता से घंटों तक वीडियो और फोटोग्राफी के माध्यम से तैयार हो रहे पेड़ों की गुणवत्ता को भी जांचा गया। डीएफओ मिश्रा ने बताया, सिर्फ दो साल में जिस प्रकार से पौधे बढ़ रहे हैं वह काफी उत्साहित करने वाले हैं। रेंजर शिशुपाल ने बताया, पौधों की लगातार निगरानी की जा रही है। पेड़ों की ग्रोथ पर भी ध्यान रखा जा रहा है। सुरक्षा के लिये कर्मचारियों को भी तैनात किया गया है।
वाइल्ड लाइफ को मिलेगा अधिक स्पेश
एसडीओ द्विवेदी ने बताया, इतने बड़े क्षेत्र में नया जंगल तैयार होने से आसपास के वातावरण में काफी सुधार आएगा। आसपास का जल स्तर बढ़ेगा। आसपास के लोगों को स्वच्छ हवा मिल सकेगी। इसके साथ ही वाइल्ड लाइफ के लिये जिले में अधिक स्पेश मिलेगा। इससे वनय प्राणी इस जंगल में बेहतर तरीके से रह सकेंगे। अभी जिले में बाघ सहित अनय वन्य प्राणियों की सं या में लगातार इजाफा हो रहा है। लेकिन उन्हें पर्याप्त जंगल नहीं मिल पा रहा था। इस जंगल के तैयार होने पर वन्य प्राणी आराम से रह सकेंगे। उन्हें यहां पर्याप्त पानी और भोजन भी मिल सकेगा।
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