पन्ना टाइगर रिजर्व में करीब 80 बाघ और शावक हैं। वर्ष 2024 तक टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 100 के पार पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघ पुनर्स्थापना योजना की सफलता की कहानियां सात समुंदर पार भी सुनाई जा रही हैं।
बफर से सफर योजना बताया जाता है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में कोर के साथ ही बफर क्षेत्र में भी बाघों की खासी संख्या है। यही कारण है कि बफर से सफर योजना के तहत अकोला में नाइट सफारी के बाद डे सफारी भी शुरू करदी गई थी।
परियोजना का भी असर
टाइगर रिजर्व प्रबंधन बीते साल हुई छह बाघों की मौत के गम को भूलकर चार माह में 15 शावकों के जन्म की खुशियां मना ही रहा था कि केन-बेतवा लिंक परियोजना का काला साया मंडराने लगा है। इसमें टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र का करीब 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र डूब में आ रहा है। ग्राम ढ़ोढन में बांध बनने से यहां के परिस्थितिकी तंत्र में होने वाले बदलाव से बाघों के अतिरिक्त गिद्धों और अन्य जीव-जंतुओं के आवास पर भी गंभीर असर पड़ेगा। इससे देशभर के पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं।
टाइगर रिजर्व प्रबंधन बीते साल हुई छह बाघों की मौत के गम को भूलकर चार माह में 15 शावकों के जन्म की खुशियां मना ही रहा था कि केन-बेतवा लिंक परियोजना का काला साया मंडराने लगा है। इसमें टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र का करीब 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र डूब में आ रहा है। ग्राम ढ़ोढन में बांध बनने से यहां के परिस्थितिकी तंत्र में होने वाले बदलाव से बाघों के अतिरिक्त गिद्धों और अन्य जीव-जंतुओं के आवास पर भी गंभीर असर पड़ेगा। इससे देशभर के पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं।