आओ… घर की बिखरी चीजों को नए सिरे से सजाएं, जीवन को दें नई दिशाएं

– घर में चल रही कार्यशालाएं, जीवंत हो रही कला-संस्कृति- महिलाएं घरों में रहकर बच्चों को बना रही कलाकार- कहीं लोक कला तो कहीं चित्रकला का सिखा रही हुनर

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-प्रमोद श्रीमाली
पाली। अपना गम लेकर कहीं दूर न जाया जाए, घर की बिखरी हुई चीजों को सजाया जाए। किसी शायर की ये पंक्तियां इन दिनों घरों में साकार हो रही है। गम को ही गीत बनाने की अद्भुत कलाकारी में जुटी पाली की नारी शक्ति का ही कमाल है कि संस्कृति के पुराने रंग आज फिर घरों में जीवंत हो रहे हैं। लॉकडाउन भले ही कई लोगों को नहीं भा रहा, लेकिन शहर की महिलाओं ने घरों में ही कार्यशालाएं चलानी शुरू कर दी है। कोई अपने बच्चों में चित्रकारी का हुनर पैदा कर रही है तो कोई कविता व लेख लिखकर समय का बेहतर उपयोग कर रही है। कुछ महिलाओं ने हमारी प्राचीन लोक कला में रंग भरने शुरू कर दिए हैं। कुछ महिलाएं बच्चों को पुराने किस्से-कहानियां सुनाकर उनकी कल्पना को परवाज दे रही है। इन महिलाओं ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि व्यस्त जीवन में कभी-कभार ही ऐेसे अवसर मिलते हैं।
माटी के कलश में भर रही कल्पना के अद्भुत रंग
बापूनगर निवासी ममता प्रकाश जांगिड़ इन दिनों पानी के मटकों पर कल्पना के रंग भर रही है। ममता ने बताया कि आधुनिकता के दौर एवं व्यस्त जीवन शैली में लोक कलाएं लुप्त सी हो गई है। अब समय मिला तो इसे फिर से संजोना व सीखना शुरू किया है। इस कला में समय कब निकल जाता है, पता ही नहीं चलता।
बच्चों को बना रही कलाकार
तिलक नगर निवासी शैल चतुर्वेदी नाती-पोतों को कलाकार बनाने में जुटी है। वे कहती है बच्चों को व्यस्त रखना एवं क्रियात्मक बनाना आवश्यक है। ऐसा करते हुए समय का सदुपयोग भी सकारात्मक कार्यों में हो रहा है और बच्चों में कल्पना शक्ति का विकास होता है।
कविता में कल्पना व सच्चाई के अनूठे रंग
खोडिय़ा बालाजी विद्यालय की प्रधानाचार्य तृप्ति पांडेय का कहना है कि वर्तमान दौर में कल्पनाएं मन में उठती जरूर है, लेकिन व्यस्तता के चलते वे कागज पर उतरती ही नहीं। अब जबकि शहर में लॉकडाउन है तो फिर से कविता एवं लेखन का समय मिला है। साहित्यकार पिता विष्णुप्रसाद चतुर्वेदी के पथ का अनुसरण कर रही हूं।
बच्चों को सुनाते प्राचीन किस्से
मरुधर नगर निवासी रेणु-पूजा सोलंकी का कहना है कि समय की व्यस्तता के चलते बच्चों को समय दे ही नहीं पाते। ऐसे में लॉकडाउन हमारे लिए नया संदेश लेकर आया है। वे बच्चों को नए-नए व्यंजन बनाना सिखा रही है। घर की साज-सज्जा के उपकरण, फोटो फ्रेम, पैंटिग्स आदि तैयार करवा रही हूं।
ड्राइंग में बना रही पारंगत
रजत नगर निवासी सीमा दीपक शर्मा का कहना है कि कलाकृतियां बच्चों को क्रियात्मक तो बनाती ही है प्रकृति प्रेम भी सिखाती है। वे बच्चों को आस-पास के नजारे को कागज पर उकेरना सिखा रही है। उनका कहना है कि समय गुजारने का इससे सुंदर व सकारात्मक तरीका हो ही नहीं सकता। वर्तमान दौर मेें यह आवश्यक है कि हम नई पीढ़ी को अतीत की परंपरा से जोड़े रखें।
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