VIDEO : यहां की इन्दिरा रसोई में साबून ना सेनेटाइजर, मंडरा रहा संक्रमण का खतरा

-भोजन की थाली से आचार गायब, कहीं मिली कच्ची रोटियां

<p>VIDEO : यहां की इन्दिरा रसोई में साबून ना सेनेटाइजर, मंडरा रहा संक्रमण का खतरा</p>
पाली। एक ओर तो कोरोना विकराल हो चुका है। प्रशासन आमजन से बार-बार हाथ धोने तथा मास्क पहनने की गुजारिश कर रहा है। लेकिन, इंदिरा रसोई में हालात उलट है। यहां पर ना तो सेनेटाइजर की व्यवस्था है और ना ही साबून। जबकि, यहां काफी संख्या में लोग भोजन करने आते हैं। ऐसे में जाने-अनजाने में कोरोना का खतरा भी मंडरा रहा है। पत्रिका टीम ने शहर में संचालित तीनों इन्दिरा रसोई की स्थिति देखी तो कुछ ऐसे ही हालात सामने आए।
स्वच्छता का भी नहीं रख रहे ख्याल
यहां स्वच्छता को लेकर भी कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा। भोजन परोसने वाले लोगों ने हाथों में ग्लब्ज नहीं पहन रखे थे तथा भोजन बनाने वाली महिलाओं ने भी सिर पर प्लास्टिक की कैप नहीं लगा रखी थी। भोजन की झूठी थालियों को ढंग से साफ तक नहीं किया जा रहा। मेन्यू में शामिल होने के बाद भी भोजन की थाली से आचार गायब मिला।
शिवाजी नगर : हाथ धोने को साबून तक नहीं
शिवाजी नगर के उप अग्निशमन केन्द्र के पास पुराने विद्यालय भवन में संचालित इन्दिरा रसोई में पत्रिका टीम सुबह 10:50 पर पहुंची तो इक्का-दुक्का लोग भोजन करते नजर आए। खाने में कढ़ी, चंदलिया व रोटी थी। मेन्यू के अनुसार अचार भी होना चाहिए था, लेकिन यहां अचार गायब मिला। भोजन करने के बाद जहां लोग हाथ धो रहे थे वहां साबून तक नहीं था। इसके साथ ही यहां सेनेटाइजर की भी व्यवस्था नहीं थी।
संचेती धर्मशाला : खुले के बदले टॉफी थमाई
सुबह 11:06 बजे पत्रिका टीम यहां पहुंची तो दो लोग भोजन करते नजर आए। साबून व सेनेटाइजर गायब मिला। भोजन की थाली में मेन्यू अनुसार अचार भी गायब था। पूछने पर संचालक ने बताया कि साबून अभी रखवा देंगे, कोई ले गया होगा। भोजन के आठ रुपए देने के बाद दो रुपए खुले नहीं होने की स्थिति में यहां दो रुपए के बदले दो टॉफी दी जा रही हैं।
शहीद भगतसिंह कॉलोनी : मशीन तो है, सेनेटाइजर नहीं
पुनायता रोड स्थित शहीद भगतसिंह कॉलोनी सामुदायिक भवन में संचालित हो रही इन्दिरा रसोई में सुबह 11:40 बजे पहुंचे तो एक भी व्यक्ति भोजन करते हुए नहीं मिला। संचालक ने बताया कि अभी तक 38 लोगों ने भोजन किया है। बताया कि लोग कम ही आते है भोजन करने। यहां सेनेटाइजर मशीन लगी हुई थी लेकिन उसमें सेनेटाइजर नहीं था। पूछने पर बताया कि खत्म हो गया।
लक्ष्य 300 का, 200 भी नहीं आ रहे
तीनों इन्दिरा रसोई घर में सुबह-शाम तीन सौ आदमियों के लिए खाना बनता है। लेकिन हकीकत यह हैं कि यहां 300 लोग आते तक नहीं। शिवाजी नगर इन्द्रा रसोई को छोडकऱ शेष दोनों जगह सुबह-शाम करीब 150-200 लोग ही खाना खाने आते हैं।
इन्द्रा रसोई एक नजर
कोई भूखा न सोए, इस संकल्प के साथ राज्य सरकार ने 20 अगस्त 2020 से इन्दिरा रसोई की शुरुआत की गई। शहर में तीन जगह इन्दिरा रसोई संचालित हो रही है। भोजन करने वाले से आठ रुपए राशि ली जाती है। प्रत्येक थाली पर राज्य सरकार 12 रुपए अनुदान देती है संचालक एंजेसी को। भोजन की थाली में 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती एवं अचार शामिल है।
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