मुख्य वक्ता संघ के केन्द्रीय कार्यकारी प्रेमसिंह रणधा ने कहा कि आयुवान सिंह ने संघ को अपने जीवन का ध्येय माना था। उनकी पुस्तक साधना पथ की बात बताते हुए कहा कि मैं अपने समाजालय में कैसे स्थापित करूं, अपने आराध्य देव को। जिस समाज में भगवान राम, कृष्ण जैसे महापुरूषों ने जन्म लिया वो समाज आज निर्बल और पंगू कैसे हो गया। हमें संभलना होगा तभी संसार को राह दिखा सकते हैं। हमारे पूर्वजों ने अपने बल, शौर्य, बलिदान से इस समाज को गौरव दिया है। ऐसे स्ंवयसेवकों का निर्माण श्री क्षत्रिय युवक संघ कर रहा है।
निज को न बनाया…
निज को न बनाया…
पूर्व राज्यसभा सदस्य नारायण सिंह माणकलाव ने आयुवान सिंह के जीवन के संस्मरण बताते हुए कहा कि वो एक व्यक्ति को भी इस तरह से उद्बोधित करते थे मानों सामने हजारों लोग उपस्थित हो। वे प्रतिभा के धनी साहित्यकार, भूस्वामी आन्दोलन के मुखिया व तनसिंह के सहयोगी बने। उन्होंने तनसिहं के सहगीत निज को न बनाया, तो जग रंच नहीं बनता… सुनाकर उसका अनुसरण करने को कहा।
शिक्षण को बताया अनिवार्य वन्दे मातरम् विद्यालय के निदेशक राजेन्द्र सिंह भाटी ने श्री क्षत्रिय युवक संघ के शिक्षण को अनिवार्य बताया। श्रीमती धारेश्वर राणावत ने कहा कि हमें संघ का शिक्षण नियमित एवं निरन्तर लेना होगा। बालिका संतोष शेखावत ने पढ़ाई के साथ संस्कार निर्माण की आवश्यकता बताई। महिपाल सिंह बासनी ने आयुवान सिंह हुडील का परिचय दिया। हीरसिंहं लौड़ता ने कहा कि संघ हीरक जयंती वर्ष में जयन्ती, संघ तीर्थ दर्शन, शिविर के बारे में बताया।
हवन में दी आहुतियां
हवन में दी आहुतियां
समारोह में वासुदेव सिंह पाटोदा, सुदर्शन सिंह बर, मनोहर सिंह निम्बली उड़ा ने हवन कराया। पूर्व रानी प्रधान पाबू सिंह खरोकड़ा, सवाई सिंह जैतावत, मनोहर सिंह उमरलाई, सोजत मण्डल प्रमुख बहादुर सिंह सारंगवास, पाली मण्डल प्रमुख देवी सिंह मोरखाना, परबत सिंह भुणास, छात्रावास अधीक्षक मालम सिंह हेमावास, जुंझार सिंह देणोक, प्रेम सिंह गादेरी, प्रांत प्रमुख महोब्बतसिंह धींगाणा आदि मौजूद रहे। व्यवस्था में शक्ति सिंह भाटी, दिलीप सिंह खिरजां आदि ने साहयोग किया। सहित अनेक समाज बन्धुओं ने सहयोग दिया।