एक साल पहले का है मामला
रानी थाना क्षेत्र के एक गांव की महिला ने 9 अगस्त 2017 को रानी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी 10 साल की बच्ची को झाड़ू निकालने के बहाने गुड़ा जैतसिंह निवासी आरोपी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जालमसिंह ने एक कक्ष में बुलाया और बच्ची से छेड़छाड़ की। पुलिस ने पीडि़ता के बयान ले लिए, लेकिन मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में देरी की। इस पर तत्कालीन एसपी ने रानी थाना प्रभारी को जांच कर पीडि़ता के बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष कराने के आदेश दिए। इसके 1 माह बाद पुलिस ने पीडि़ता के मजिस्ट्रेट के समक्ष बंद कमरे में बयान कराए। कोर्ट में बयान के बाद भी रानी थाना पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया तो पीडि़त पक्ष की शिकायत पर जांच सांडेराव थाना प्रभारी सीमा जाखड़ को दी। उन्होंने मासूम के साथ छेड़छाड़ व पोक्सो एक्ट का जुर्म प्रमाणित मान आरोपी जालमसिंह की गिरफ्तारी की सिफारिश की।
रानी थाना क्षेत्र के एक गांव की महिला ने 9 अगस्त 2017 को रानी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी 10 साल की बच्ची को झाड़ू निकालने के बहाने गुड़ा जैतसिंह निवासी आरोपी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जालमसिंह ने एक कक्ष में बुलाया और बच्ची से छेड़छाड़ की। पुलिस ने पीडि़ता के बयान ले लिए, लेकिन मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में देरी की। इस पर तत्कालीन एसपी ने रानी थाना प्रभारी को जांच कर पीडि़ता के बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष कराने के आदेश दिए। इसके 1 माह बाद पुलिस ने पीडि़ता के मजिस्ट्रेट के समक्ष बंद कमरे में बयान कराए। कोर्ट में बयान के बाद भी रानी थाना पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया तो पीडि़त पक्ष की शिकायत पर जांच सांडेराव थाना प्रभारी सीमा जाखड़ को दी। उन्होंने मासूम के साथ छेड़छाड़ व पोक्सो एक्ट का जुर्म प्रमाणित मान आरोपी जालमसिंह की गिरफ्तारी की सिफारिश की।
एएसपी पर भी उठे थे सवाल
आरोपी की पत्नी के परिवाद पर जांच बाली वृत के एएसपी को सौंपी। उन्होंने 28 अक्टूबर 2017 को केस डायरी काटी और उसमें आरोपी जालमसिंह पर जुर्म प्रमाणित माना। 10 दिन बाद ही इन्हीं एएसपी ने 7 नवंबर 2017 को केस डायरी में खुलासा किया कि बच्ची के साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई। मामले को झूठा बताते हुए केस में एफआर लगाकर फाइल कोर्ट में पेश कर दी। पीडि़त पक्ष ने इसका विरोध कर याचिका लगाई। कोर्ट ने मामले में फिर से जांच के निर्देश दिए तो आईजी ने अपने अधीन डीएसपी से जांच कराई। उन्होंने भी जांच कर आरोपी पर जुर्म प्रमाणित मानते हुए गिरफ्तारी की सिफारिश की। केस की जांच सीआईडी सीबी को सौंप दी गई। सीआइडी सीबी ने भी जुर्म प्रमाणित कर केस की फाइल लौटाई तो रानी पुलिस ने आरोपी को
गिरफ्तार किया।
आरोपी की पत्नी के परिवाद पर जांच बाली वृत के एएसपी को सौंपी। उन्होंने 28 अक्टूबर 2017 को केस डायरी काटी और उसमें आरोपी जालमसिंह पर जुर्म प्रमाणित माना। 10 दिन बाद ही इन्हीं एएसपी ने 7 नवंबर 2017 को केस डायरी में खुलासा किया कि बच्ची के साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई। मामले को झूठा बताते हुए केस में एफआर लगाकर फाइल कोर्ट में पेश कर दी। पीडि़त पक्ष ने इसका विरोध कर याचिका लगाई। कोर्ट ने मामले में फिर से जांच के निर्देश दिए तो आईजी ने अपने अधीन डीएसपी से जांच कराई। उन्होंने भी जांच कर आरोपी पर जुर्म प्रमाणित मानते हुए गिरफ्तारी की सिफारिश की। केस की जांच सीआईडी सीबी को सौंप दी गई। सीआइडी सीबी ने भी जुर्म प्रमाणित कर केस की फाइल लौटाई तो रानी पुलिस ने आरोपी को
गिरफ्तार किया।